भाजपा उम्मीदवार माधवी लता हाल ही में एक नए मामले में फंस गई हैं जिसमें उन पर पुलिस के साथ बाधा डालने और जब्त किए गए डमी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को उठा ले जाने का आरोप है, जिसे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए उपयोग किया जा रहा था। मंगलहाट पुलिस ने शुरुआत में दो भाजपा कार्यकर्ताओं, राकेश गौड़ और बनी, को नकली ईवीएम का इस्तेमाल करने के आरोप में हिरासत में लिया था। हालांकि, माधवी लता पुलिस स्टेशन पहुँची और इन पुरुषों को न केवल छुड़ा लिया, बल्कि जब्त किए गए डमी ईवीएम भी साथ ले गईं।
यह घटना मंगलहाट क्षेत्र में घटित हुई, जो कि भाजपा विधायक टी. राजा सिंह का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। पुलिस ने इस संबंध में राकेश गौड़, बनी और माधवी लता के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा, अधिकारियों ने यह भी बताया है कि इस मामले में मंगलहाट के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी, जिससे यह संकेत मिलता है कि इस मामले की जांच और व्यापक होगी।
मंगलहाट पुलिस स्टेशन में घटी इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जैसे कि आखिर कैसे एक उम्मीदवार इतनी आसानी से पुलिस स्टेशन से जब्त सामग्री को उठा कर ले जा सकता है। यह घटना भारतीय चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता को भी प्रश्न के घेरे में लाती है।
ईवीएम का मुद्दा भारतीय राजनीति में बहुत समय से एक विवादास्पद विषय रहा है। ईवीएम के दुरुपयोग का आरोप अक्सर कई राजनीतिक दलों द्वारा लगाया जाता है, लेकिन इस बारे में ठोस प्रमाण बहुत कम ही सार्वजनिक हुए हैं। इस प्रकार की घटनाएं न केवल चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि किस प्रकार से कुछ व्यक्ति या समूह अपने लाभ के लिए सिस्टम का दोहन कर सकते हैं।
इस घटना के परिणामस्वरूप माधवी लता सहित उल्लिखित व्यक्तियों पर गंभीर आरोप लगे हैं। जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ेगा, इसके नतीजे न केवल उनके राजनीतिक करियर पर, बल्कि समग्र रूप से चुनावी प्रणाली की निष्पक्षता पर भी असर डालेंगे। यह घटना निश्चित रूप से मतदाताओं के मन में भी कई सवाल उठाएगी।
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