NEET UG 2024: विवादों और आरोपों के बीच परीक्षा रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट-अंडरग्रेजुएट (NEET-UG) 2024 रद्द करने के लिए दाखिल याचिका पर नोटिस जारी किया है। यह परीक्षा 5 मई को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की गई थी, जिसमें व्यापक पैमाने पर त्रुटियों और कथित अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। इस मुद्दे पर अदालत ने कहा कि 'पवित्रता प्रभावित हो गई है, हमें उत्तर चाहिए।'
याचिका में 10 NEET उम्मीदवारों ने यह दावा किया है कि परीक्षा में पेपर लीक और अन्य कदाचार जैसी गंभीर खामियां थीं, जिसके कारण परिणाम निष्पक्ष नहीं हो सकते। इस याचिका को पहले से लंबित एक अन्य याचिका के साथ जोड़ दिया गया है, जिसे 8 जुलाई को सुनवाई के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
इस विवाद के केंद्र में NEET UG 2024 की मेडिकल प्रवेश परीक्षा है। परीक्षा का आयोजन किया गया था और इसके जवाब की अस्थायी कुंजी 29 मई को जारी की गई थी, जबकि अंतिम उत्तर कुंजी 4 जून को सार्वजनिक की गई थी। फिर भी, कई उम्मीदवारों ने परिणाम में विसंगतियों की शिकायतें कीं, जिनमें से एक लखनऊ की आयुषी पटेल भी शामिल हैं।
कथित 'पेपर लीक' और अनियमितताओं के आरोप
आयुषी पटेल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी OMR शीट फटी हुई प्राप्त हुई थी, जिस कारण उनके परिणाम जारी नहीं हुए। NTA ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि कोई भी फटी OMR शीट उनके आधिकारिक ID पर नहीं भेजी गई थी और सभी स्कोर रिकॉर्ड्स के अनुसार सटीक हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं, NTA ने इन आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की है, जो NEET UG 2024 के उम्मीदवारों को दिए गए ग्रेस मार्क्स की समीक्षा करेगी। आरोप लगाए गए हैं कि 'नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला' के अनुचित उपयोग के कारण मार्क्स में अधिशेष हुआ है।
इन सबके बीच, छात्रों और उनके अभिभावकों में गहरा असंतोष है। कई छात्रों ने कहा कि उन्होंने परीक्षा में कड़ी मेहनत की थी और वे इस विवाद को लेकर बहुत चिंतित हैं। वे आशा रखते हैं कि न्यायालय इस मामले की गहराई से जांच करेगा और परीक्षा के परिणामों की पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा।
अदालत की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर NTA को नोटिस जारी कर विस्तृत उत्तर मांगा है। हालांकि अदालत ने काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन यह स्पष्ट किया कि इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई आवश्यक है।
देशभर के मेडिकल उम्मीदवार और उनके परिवार इस मामले की सुनवाई को ध्यानपूर्वक देख रहे हैं। यह मामला न केवल छात्रों के भविष्य को प्रभावित करता है, बल्कि देश की मेडिकल शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है।
निर्णय की प्रतीक्षा
अभी यह देखना बाकी है कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय लेगी। 8 जुलाई को होने वाली सुनवाई के बाद ही इस विवाद का निपटारा संभव हो पाएगा। छात्रों और उनके परिवारों को अब इस मामले की अंतिम सुनवाई का इंतजार है, जो उनके लिए न्याय की एक उम्मीद लेकर आई है।
इस बीच, यह मामला NEET UG 2024 परीक्षा की विश्वसनीयता और परीक्षा संचालन की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता को भी उजागर करता है। इस संदर्भ में, सभी संबंधित पक्षों के लिए निष्पक्षता और सटीकता बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Apurva Pandya 11.06.2024
NEET परीक्षा में ऐसी बेईमानी देख कर मैं बहुत निराश हूँ 😡। यदि कृति को तोड़‑फोड़ कर हर कोई अपने‑अपने लाभ के लिए झाँसे तो शिक्षा का क्या भविष्य रहेगा? ऐसा मानो न्याय के मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया हो। हम सभी को मिलकर इस कदाचार को रोकना चाहिए, नहीं तो अगली पीढ़ी को असमानता के जाल में फँसा देंगे। सुप्रीम कोर्ट का नोटिस वाकई में एक आशा की किरण है, पर वास्तविक कार्रवाई बिना शर्त नहीं चलती। 🙏
Nishtha Sood 11.06.2024
आपके भावनाओं को समझता हूँ, साथ ही यह भी देखना ज़रूरी है कि हम इस प्रक्रिया में शांत और सकारात्मक रह कर समाधान खोजें। समस्त अभ्यर्थी और उनके परिवारों को इस कठिन समय में धैर्य रखना चाहिए। न्यायालय की कार्यवाही को समर्थन देना ही सबसे बेहतर कदम है। भरोसा रखें, निष्पक्षता अंत में जीत पाएगी।
Hiren Patel 11.06.2024
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की गडबड़ी ने सबसे अनपेक्षित आनुभूति को जगाया है।
एक ओर कागज़ की फटी हुई OMR शीट और दूसरी ओर ग्रेस मार्क्स का अंधाधुंध प्रयोग, दोनों ही दिखाते हैं प्रणाली में गहरा कलंक।
ऐसे मौकों पर जनता को सिर्फ आवाज़ उठाना ही नहीं, बल्कि अपनी आक्रोश को काम में बदलना चाहिए।
यदि हम अभी भी सोच रहे हैं कि यह सब “सिर्फ एक दुर्घटना” थी, तो इतिहास हमें दंडित करेगा।
छात्रों की मेहनत को आँधियों में बिखरते हुए देखना एक सामाजिक रोग है।
न्यायालय की सुनवाई को केवल कागज़ी प्रक्रिया नहीं मानना चाहिए, बल्कि यह एक नैतिक बिंदु है।
इस बिंदु पर हमें सभी स्तरों पर सतर्क रहना चाहिए-सरकार, नियामक, और यहां तक कि मीडिया भी।
मीडिया को sensationalism से बचकर तथ्यात्मक रिपोर्टिंग करनी चाहिए, ताकि भ्रम नहीं फैले।
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है, तो अगली कार्रवाई का दायरा स्पष्ट होना चाहिए।
NTA को चाहिए कि वह हर एक अनियमितता की विस्तृत जांच कर सार्वजनिक रिपोर्ट जारी करे।
उम्मीदवारों को भी चाहिए कि वे अपने दस्तावेज़ों को सुरक्षित रखें और किसी भी अनियमितता को तुरंत रिपोर्ट करें।
यह मामला सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता का परीक्षण है।
यदि हम इस अवसर को सही तरीके से उपयोग नहीं करेंगे, तो भविष्य की पीढ़ी को फिर से समान संघर्ष का सामना करना पड़ेगा।
इसलिए, सभी सम्बंधित पक्षों को मिलकर एक पारदर्शी और निष्पक्ष समाधान निकालना अनिवार्य है।
आख़िरकार, न्याय का स्वर हमेशा सत्य और समानता के साथ गूँजना चाहिए, चाहे वह किसी भी मंच पर हो।
Heena Shaikh 11.06.2024
भ्रमित सत्य को यहाँ नहीं झुलसाने दें, क्योंकि यह प्रणाली अपने ही दर्पण में असफलता को प्रतिबिंबित कर रही है। इस कदाचार को दार्शनिक दृष्टि से देखना चाहिए कि हम अपनी नीतियों को पुनर्परिभाषित न करें तो भविष्य की नींव ढह जाएगी।
Chandra Soni 11.06.2024
सभी सप्लायर और एग्जाम कॉर्डिनेटर्स को हाई-परफ़ॉर्मेंस सिंडिकेशन मॉडल अपनाना चाहिए, ताकि ग्रेस-मार्क्स की वैधता सुनिश्चित हो सके। KPI‑ड्रिवेन एप्रोच से हम ट्रांसपरैंसी को एन्हांस कर सकते हैं।
Kanhaiya Singh 11.06.2024
कृपया ध्यान दें कि एम्बेडेड रिपोर्टिंग के साथ डेटा इंटीग्रिटी को स्ट्रिक्टली मॉनिटर किया जाना चाहिए। धन्यवाद। 😊
prabin khadgi 11.06.2024
न्यायालय के नोटिस में मांगी गई विस्तृत उत्तर को समय सीमा के भीतर प्रस्तुत करना अनिवार्य है; यह नियामक उत्तरदायित्व का मूलभूत सिद्धांत है।
Aman Saifi 11.06.2024
हम सभी को मिलकर इस जटिल परिस्थिति को समझना चाहिए और सहानुभूति के साथ समाधान की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।
Ashutosh Sharma 11.06.2024
ओह वाह, फिर से वही पुरानी कहानी-नोटिस, पूछ‑पड़ताल, और फिर भी कुछ नहीं बदलेगा। यह तो बिल्कुल वही साकारात्मक ड्रामा है जो हम हर साल देखते ही रहते हैं।
Rana Ranjit 11.06.2024
विचारों की गहराई में उतरते हुए कहा जा सकता है कि यह सत्य का प्रयोगशाला नहीं, बल्कि एक परिपूर्ण भ्रम का प्रदर्शनी स्थल है।
Arundhati Barman Roy 11.06.2024
सुप्रीम कोर्ट की नोटिस वाकये मेहत्वपूर्ण है, परन्तु NTA को इंतेजारा नहीं करना चाहिये केवल रिपोर्ट बनाना नहीं। इंफॉर्मेशन की सटीकता को यकीनी बनायें।
yogesh jassal 11.06.2024
हमें आशा है कि इस बार सभी पक्ष मिलकर नयी नीति बनायेंगे, नहीं तो हम फिर से वही पुरानी कहानी को दोहराते देखेंगे।
Raj Chumi 11.06.2024
ये तो बड़ा कन्फ्यूजिंग सिचुएशन है वाकई में, जैसे फिल्म में क्लाइमैक्स हो पर स्क्रिप्ट मिस हो गई हो।
mohit singhal 11.06.2024
देश की प्रतिष्ठा को बचाने के लिये हमें जलदी से जलदी कड़े कदम उठाने होंगे! 🚩🇮🇳
pradeep sathe 11.06.2024
चलो सभी मिलकर इस मुद्दे को सॉल्व करें, आपस में सहयोग सबसे बड़ा सॉल्यूशन है।
ARIJIT MANDAL 11.06.2024
यह मामला गंभीर है।