गुजरात में संदिग्ध चांदीपुरा वायरस से छह बच्चों की मौत

गुजरात में चांदीपुरा वायरस संक्रमण की वजह से छह बच्चों की मौत हो चुकी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल ने बताया कि जुलाई 10 से अब तक कुल 12 संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिनकों जांच के लिए पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology) भेजा गया है। परीक्षण के नतीजे 12 से 15 दिनों के भीतर मिलने की उम्मीद है।

संक्रमण से प्रभावित बच्चे

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मरने वाले बच्चों की उम्र 9 महीने से 14 साल के बीच है। छह में से पांच मौतें हिम्मतनगर, साबरकांठा जिला के सिविल अस्पताल में हुई हैं। अर्हवल्ली, महिसागर और खेड़ा जिले भी प्रभावित हैं, साथ ही कुछ मामले राजस्थान और मध्यप्रदेश से भी सामने आए हैं।

चांदीपुरा वायरस बुखार और तीव्र मस्तिष्क ज्वर (Acute Encephalitis) का कारण बनता है और मच्छरों, टिक्की और रेत मक्खियों जैसे वाहकों द्वारा फैलता है। यह आमतौर पर बारिश के मौसम के दौरान विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जाता है।

सरकारी उपाय और सजगता

संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए, राज्य स्वास्थ्य विभाग ने व्यापक निगरानी अभियान चलाया है। 4,487 घरों से 18,646 व्यक्तियों का सर्वेक्षण किया गया है और 2,093 घरों में कीटनाशक छिड़काव कर रेत मक्खियों की आबादी को नियंत्रित किया गया है।

स्वास्थ्य विभाग ने जनता को सलाह दी है कि वे उच्च बुखार, उल्टी, दस्त, सिरदर्द या दौरे जैसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें, खासतौर से बच्चों में।

संक्रमण कैसे फैलता है?

संक्रमण कैसे फैलता है?

चांदीपुरा वायरस मुख्य रूप से मच्छरों और रेत मक्खियों के माध्यम से फैलता है। यह ग्रामीण इलाकों में सामान्यतः देखा जाता है, जहां इन वाहकों की आबादी अधिक होती है। बारिश के मौसम में विशेष रूप से इसका संक्रमण अधिक देखा गया है। वायरस के चलते प्रभावित व्यक्ति को तेज बुखार, उल्टी, दस्त और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी

चांदीपुरा वायरस का संक्रमण यदि समय रहते नहीं रोका जाए, तो यह बड़े पैमाने पर फैल सकता है। इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से सावधानी बरतने की अपील की है। बच्चों में किसी भी संदेहजनक लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

स्थानीय अस्पतालों की तैयारी

स्थानीय अस्पतालों की तैयारी

गुजरात के सभी जिले के अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है। सभी अस्पतालों में विशेष बिस्तरों की व्यवस्था की गई है और डॉक्टरों एवं नर्सों को इस विषाणु से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में अतिरिक्त दवाइयों और उपकरणों का भी प्रबंध किया है।

राज्य सरकार का कहना है कि संक्रमण को रोकने और महामारी से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है, ताकि संक्रमण की रोकथाम संभव हो सके।