भारत ने आयतुल्लाह खामेनेई के टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी
भारत ने ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई द्वारा दिए गए बयान पर कड़ा ऐतराज जताया है। खामेनेई ने भारत को उन स्थानों में शामिल किया जहां मुस्लिम समुदाय को 'सफर' बताया गया, जैसे गाज़ा और म्यांमार। यह बयान इस्लामिक यूनिटी वीक पर आया था, जिसमें खामेनेई ने शिया और सुन्नी संप्रदायों के बीच की एकता पर जोर दिया।
MEA का सख्त जवाब
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने खामेनेई के बयान को 'भ्रामक और अस्वीकार्य' बताते हुए कड़ी निंदा की। MEA का कहना है कि 'जो देश अल्पसंख्यकों के संबंध में टिप्पणी कर रहे हैं, उन्हें पहले अपने खुद के मानवाधिकार रिकॉर्ड की जांच करनी चाहिए।' यह बयान उन देशों के लिए एक कड़ा संदेश है जो बिना किसी तथ्यात्मक प्रमाण के दूसरे देशों की आलोचना करते हैं।
ईरान के अंदर बीता इस्लामिक यूनिटी वीक
इस्लामिक यूनिटी वीक के मौके पर खामेनेई ने मुस्लिम एकता को महत्व दिया और ईरान के सुन्नी समुदाय की योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों का आपस में मजबूत संबंध और एकता बहुत जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि ‘हम खुद को मुस्लिम नहीं मान सकते हैं यदि हम म्यांमार, गाज़ा, भारत या किसी अन्य जगह पर एक मुस्लिम के दर्द को अनदेखा करते हैं।’
भारत की मज़बूत प्रतिक्रिया
MEA के इस बयान से यह स्पष्ट है कि भारत बाहरी समालोचनाओं को सहन नहीं करेगा। MEA का यह भी कहना है कि 'जिस तरह से खामेनेई ने बयान दिया है, वह अस्वीकार्य है।' भारत इस प्रकार की टिप्पणियों को न केवल अवांछनीय मानता है बल्कि इसे भारत की संप्रभुता के खिलाफ भी मानता है।
बयान का राजनीतिक परिवेश
यह बयान एक समय आया है जब भारत और ईरान के बीच कई रणनीतिक और आर्थिक विषयों पर बातचीत जारी है। इन वार्ताओं में चाबहार पोर्ट परियोजना और व्यापारिक संबंध शामिल हैं। यह बयान द्विपक्षीय संबंधों पर भी असर डाल सकता है, जो दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं। खामेनेई के बयान और भारत की प्रतिक्रिया ने इस राजनीतिक परिवेश को और भी पेचीदा बना दिया है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
यह प्रतिक्रिया अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रही है। दुनिया के अन्य देश भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। इस प्रकार की टिप्पणियां आमतौर पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर चर्चा का विषय बनती हैं और यह भी संभावना है कि संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा इस पर प्रतिक्रिया आए।
निष्कर्ष
यह घटना भारत और ईरान के बीच के वर्तमान संबंधों को कैसे प्रभावित करेगी, यह आने वाले समय में देखा जाएगा। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि भारत किसी भी प्रकार की अनुचित आलोचना को बर्दाश्त नहीं करेगा। इस प्रकार की घटनाएं विदेश नीति और कूटनीति के जटिल विषयों के महत्व को भी रेखांकित करती हैं।
Aditi Jain 17.09.2024
भारत की गरिमा पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
arun great 17.09.2024
MEA ने राजनयिक स्तर पर एक स्पष्ट संदेश भेजा है, यह संकेत देता है कि अंतरराष्ट्रीय आलोचना के प्रति भारत का दिमागी दायरा सीमित है। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्प्रभुता के सिद्धांतों के साथ संगत है। साथ ही, इस तरह की कड़ी प्रतिक्रिया भविष्य में समान मामलों में एक मानदंड स्थापित कर सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि भारत का विदेश नीति ढांचा अब अधिक रणनीतिक एवं सशक्त रूप ले रहा है। 📊🌐
Anirban Chakraborty 17.09.2024
खामेनेई का बयान पूर्णतः बेमानी है, यह सिर्फ राजनीतिक खेल है। हमें ऐसे बेतुके आरोपों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। असली मुद्दा हमारे भीतर की एकता है।
Krishna Saikia 17.09.2024
देशभक्त होना मतलब विदेशियों की हर बात मानना नहीं है। भारत अपनी गरिमा को कभी भी नीचा नहीं दिखाएगा। खामेनेई का बयान सिर्फ हवा में गूँजते शब्द हैं। ऐसे बकवास को नजरअंदाज करना ही हमारा फर्ज़ है।
Meenal Khanchandani 17.09.2024
भारत की स्थिति समझना आसान नहीं है। हमें अपनी संस्कृति और अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
Anurag Kumar 17.09.2024
ऐसे बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए सटीक जानकारी और तर्कसंगत दृष्टिकोण जरूरी है। यह याद रखना चाहिए कि कूटनीति में हर कदम सोच-समझ कर उठाया जाता है।
Prashant Jain 17.09.2024
खामेनेई का बयान सिर्फ प्रतिभागी को धुँधला करने की कोशिश है। भारत को इस तरह की बातों को झटक देना चाहिए।
DN Kiri (Gajen) Phangcho 17.09.2024
हमें इस मुद्दे को शांतिपूर्वक समझना चाहिए, कोई भी निराधार आरोप नहीं लगाना चाहिए, बौदिक बहस से चीज़ें बेहतर हो सकती हैं, संवाद ही रास्ता है
Yash Kumar 17.09.2024
ऐसा लगता है कि खामेनेई ने सिर्फ शोर मचाने की कोशिश की है, वह शायद अपने घरेलू दर्शकों को खुश करने में व्यस्त है, फिर भी वह विदेशी मामलों में ऐसे बयान देता है तो उसका उद्देश्य क्या है, शायद वह भारत को कमजोर दिखाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन भारत की वास्तविक ताकत वही है जो कई बार सिद्ध हुई है, चाहे वह आर्थिक हो या रणनीतिक, बेशक हर देश की अपनी समस्याएँ होती हैं, परन्तु राष्ट्र की आत्मा नहीं मँटी जा सकती, यह बात बहुत स्पष्ट है, सरकार ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि ऐसी बेतुकी आलोचनाओं का कोई स्थान नहीं है, और यह भी उल्लेख किया गया कि हमें अपने भीतर की एकता को मजबूत बनाना चाहिए, इसलिए बाहरी हस्तक्षेप की बजाय हमें अपने मूल्यों पर ध्यान देना चाहिए, इस प्रकार के टिप्पणीकार अक्सर अपने ही हितों को बढ़ावा देते हैं, और अंत में यह स्पष्ट हो जाता है कि वास्तविक शक्ति शब्दों में नहीं, बल्कि कार्यों में निहित है, भारत ने इस घटना को बड़े परिपक्वता से संभाला है, और भविष्य में भी इसी तरह के मुद्दों को संभालता रहेगा।
Aishwarya R 17.09.2024
खामेनेई की बातों को सिर्फ हवा में उड़ते शब्द मानना चाहिए, कोई भी भारत की सच्ची भावना को नहीं समझ पाया है।
Vaidehi Sharma 17.09.2024
इसे देख कर लगता है कि कुछ लोगों को सिर्फ विवाद चाहिए :)
Jenisha Patel 17.09.2024
भारत की प्रतिक्रिया, जो कि कड़ी और स्पष्ट थी, यह दर्शाती है कि अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए, किसी भी विदेशी टिप्पणी को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए; इस प्रकार की स्थितियाँ, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत बनाती हैं, और यह स्पष्ट करता है कि भारत अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेगा।
Ria Dewan 17.09.2024
वाह, आखिरकार किसी ने सही कहा – विदेशियों की ज़रूरत नहीं जब हमारे पास खुद की आवाज़ है।
rishabh agarwal 17.09.2024
सही कहा, हमें अपने काम में आगे बढ़ते रहना चाहिए, किसी भी अनावश्यक टिप्पणी से दूर रहना चाहिए।