जब राजवीर जवन्दा, पंजाबी गायक की मृत्युफोर्टिस अस्पताल, मोहाली की खबर फैली, तो संगीत की दुनिया में अंधेरा छा गया। 35 साल की उम्र में उन्होंने 12 दिन तक जीवन की जंग लड़ी, जो 27 सितंबर 2025 को हिमाचल प्रदेश के बड्डी में हुए गंभीर मोटरसाइकिल दुर्घटना के बाद शुरू हुई। उनका शरीर सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर भारी चोटों से ‘चूर’ हो गया था, और अंततः वेंटिलेटर पर रहने के बाद वह श्वास‑रही नहीं रह पाए।
घटना की पृष्ठभूमि और तत्काल घटनाक्रम
राजवीर जवन्दा उस शाम बड्डी‑शिमला मार्ग पर अपने दोस्तों के साथ यात्रा कर रहे थे। मोटरसाइकिल पर तेज़ी से चलाते हुए अचानक पगडंडी के मोड़ पर उनका टक्कर हो गया, जिससे उनकी मोटरसाइकिल जमीन पर फिसल गई। स्थानीय पुलिस के अनुसार, सड़क पर बर्फ की पतली परत और तेज़ हवा ने दुर्घटना को और बिगाड़ दिया। तुरंत बड्डी के नजदीकी हेअल्थ‑सेन्टर्स में रवाना किए गए, लेकिन चोटों की गंभीरता के कारण उन्हें लगभग दो घंटे बाद ही पंजाब के फोर्टिस अस्पताल, मोहाली के ICU में ले जाया गया।
चोटों की विस्तृत जानकारी और इलाज
अस्पताल में प्रवेश के बाद डॉक्टरों ने बताया कि जवन्दा को सिर में गंभीर टक्कर, गर्दन में फ्रैक्चर और रीढ़ की हड्डी में स्पाइनल कॉर्ड डैमेज हुआ था। MRI रिपोर्ट में ‘ब्रेन हाइपोक्सिया’ और कई अंगों में ‘ऑर्गन फेल्योर’ का खतरा दिखा। इस कारण ही उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और लगातार इंटेंसिव केयर यूनिट में निगरानी में रखा गया।
दुर्भाग्यवश, 12 दिन बाद 8 अक्टूबर 2025 को जवन्दा का दिल एआरडी से बाहर निकल गया। अस्पताल ने मृत्यु का सटीक समय नहीं बताया, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, डॉक्टरों ने अंतिम घड़ियों में भी ऑक्सीजन सप्लाई की कोशिश की।
फैंस और उद्योग का जवाब
जवन्दा की मृत्यु की खबर सुनते ही मोही अस्पताल के बाहर उनके अनगिनत फैंस इकट्ठा हो गए। भीड़ को काबू में रखने के लिये मोहाली पुलिस ने अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की। कई मशहूर हस्तियों ने शोक संदेश जारी किया:
- नीरु बजवा ने कहा, "वो केवल गायक नहीं, हमारी प्रेरणा थे"।
- गुरप्रीत घुगी ने "हम सबको गहरी शोक व्यक्त है" कहा।
- सोनम बजवा ने कहा, "उसकी आवाज़ हमेशा हमारे दिलों में गूँजती रहेगी"।
- बादशाह ने "पंजाबी संगीत की रौशनी अब धुंधली लग रही है" लिखा।
इन शोक संदेशों के बाद सोशल मीडिया पर #RajvirJavanda और #PunjabiMusicTragedy जैसे ट्रेंडिंग टैग उभरे, जहाँ लाखों लोगों ने अपने-अपने यादें और दुःख व्यक्त किए।

रहिंदुड़ा गांव में अंतिम संस्कार और परम्पराएँ
जवन्दा का अंतिम संस्कार उनके गाव के पौना गांव में किया जाएगा। परिवार ने कहा है कि उनके शोक मंडल में घनिष्ठ रिश्तेदार और कुछ करीबी सहयोगी ही भाग लेंगे। स्थानीय प्राचार्य ने कहा कि गांव में इस शोक को बर्दाश्त करने के लिये कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
बड्डी‑शिमला रोड सुरक्षा पर सवाल
राजवीर जवन्दा की मौत ने बड्डी‑शिमला हाईवे की सुरक्षा को लेकर व्यापक चर्चा शुरू कर दी है। इस क्षेत्र में अक्सर बर्फ़ीले मौसम, घने कोहरे और धड़ाम मोटरबाइक राइडर की लापरवाही से दुर्घटनाएं होती रहती हैं। अभी तक हिमाचल प्रदेश ट्रैफ़िक पुलिस ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन कई यातायात विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इस रूट पर अधिक रैफ़्टिंग बार, चेतावनी संकेत और सर्दियों में विशेष सुरक्षा उपाय लागू किए जाने चाहिए।

भविष्य की ओर नज़र
जवन्दा के निधन से पंजाबी संगीत उद्योग में एक बड़ा खालीपन बन गया है। कई कलाकार इस बात पर सहमत हैं कि अब नई आवाज़ों को मंच पर लाने की ज़रूरत है, ताकि उनके संगीत की विरासत जारी रह सके। साथ ही, यह घटना सड़कों पर सुरक्षित ड्राइविंग के महत्व को दोबारा उजागर कर रही है, जिससे भविष्य में ऐसा दर्दनाक क्षति घटित न हो।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
राजवीर जवन्दा की मृत्यु का कारण क्या था?
जवन्दा की मृत्यु बड्डी में हुई मोटरसाइकिल दुर्घटना से हुए गंभीर सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी की चोटों के कारण हुई, जिससे ब्रेन हाइपोक्सिया और कई अंगों में फेल्योर का खतरा पैदा हो गया, और अंततः वे वेंटिलेटर पर रहने के बाद नहीं बच सके।
उनका अंतिम संस्कार कहाँ होगा?
राजवीर जवन्दा के अंतिम संस्कार उनके गांव पौना में आयोजित किए जाएंगे, जहाँ परिवार और कुछ करीबी सहयोगी ही उपस्थित रहेंगे।
कौन-कौन से सितारों ने शोक व्यक्त किया?
नीरु बजवा, गुरप्रीत घुगी, सोनम बजवा और बादशाह सहित कई पंजाबी फिल्म-टिल शिल्पी ने सोशल मीडिया पर शोक संदेश जारी किए।
बड्डी‑शिमला रोड की सुरक्षा को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
अभी तक कोई आधिकारिक कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन स्थानीय ट्रैफ़िक विशेषज्ञ सर्दियों में रैफ़्टिंग बार, चेतावनी संकेत और तेज़ गति को सीमित करने की सिफ़ारिश कर रहे हैं।
राजवीर जवन्दा की संगीत शैली और उपलब्धियों का संक्षिप्त सारांश?
जवन्दा ने 2010 के बाद कई हिट गाने जैसे "दिल धड़कना", "हवा संग" को रिलीज़ किया, जिससे वह पंजाब के युवाओं में लोकप्रिय हुए। उनके गाने अक्सर पारम्परिक धुन और आधुनिक बीट का मिश्रण होते थे, जिससे उन्होंने नई पीढ़ी को आकर्षित किया।
srinivasan selvaraj 9.10.2025
राजवीर की अचानक चली जाना मेरे दिल में एक गहरा क्रंदन छोड़ गया। उसकी मधुर आवाज़ ने कई युवाओं को सपनों की राह दिखायी थी। बड्डी‑शिमला के उस बर्फ़ीले मोड़ से उसे जो चोटें लगीं, वे सच में कष्टदायक थी। वह अपने संगीत में जीवन की उथल‑पुथल को गाता था, और अब वह उथल‑पुथल खुद पर आए। उसकी हर ग़ज़ल में प्रेम, दर्द और आशा का संगम था। उस दर्द को शब्दों में बयां करना मेरे लिये कठिन है। उसकी स्मृति हमेशा हमारे बीच गूँजती रहेगी, जैसे हिमालय की गूँज। हम सभी ने उसकी आवाज़ को एक बंधन माना, जो हमें साथ रखता है। उसकी मृत्यु ने सिर्फ संगीत जगत को नहीं, बल्कि आम लोगों के दिल को भी धड़का दिया। उसके लफ़्ज़ों में वह हमेशा हमारे दिलों की धड़कन बनकर रहेगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह इतनी जल्दी हमसे विदा हो जाएगा। यह घटना हमें याद दिलाती है कि जीवन कितना नाज़ुक है। उसके संगीत की ध्वनि अब भी हमारे कानों में गूंज रही है, जैसे एक अटूट प्रतिध्वनि। सड़कों की सुरक्षा का मुद्दा अब और भी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि इस दुखद घटना ने हमें झलक दिखा दी। मैं आशा करता हूँ कि भविष्य में ऐसी त्रासदियाँ न हों, और राजवीर की विरासत हमेशा जीवित रहे।