जब अज़ीम प्रेंजी फ़ाउंडेशन ने अज़ीम प्रेंजी छात्रवृत्ति 2025बेंगलुरु के लिए आवेदन खोले, तो भारत भर के लाखों लड़कियों ने आख़िरी बार सुनहरा अवसर महसूस किया। यह पहल सरकार‑निर्देशित स्कूलों में पढ़ती लड़कियों को आर्थिक बोझ से मुक्त कर, उनके स्नातक या डिप्लोमा कोर्स को पूरा करने में मदद करने के लिए तैयार की गई है।
पृष्ठभूमि और लक्ष्य
फ़ाउंडेशन के संस्थापक अज़ीम प्रेंजी ने वर्ष 2022 में शिक्षा में समान अवसर बनाने का वादा किया था, पर पहले की स्कीम्स में केवल 1 लाख लाभार्थियों तक ही सीमित थीं। इस बार का लक्ष्य 2.5 लाख लड़कियों तक पहुंचना है – यानी पाँच गुना विस्तार। धीमे‑धीमे आँकड़े दिखाते हैं कि सरकारी स्कूलों से स्नातक बनने वाली लड़कियों की दर 2019 में 20 % से अब 27 % तक बढ़ी है; अब फ़ाउंडेशन इस वृद्धि को दोगुना करने की कोशिश कर रहा है।
मुख्य कारण यह कहा जाता है कि "शिक्षा के साथ आर्थिक सुरक्षा" ही दीर्घकालिक सामाजिक उन्नति का मूल है, और यह स्कीम ठीक उसी को लक्षित करती है।
छात्रवृत्ति विवरण और पात्रता
छात्रवृत्ति के तहत प्रत्येक चयनित छात्रा को वार्षिक ₹30,000 की फंडिंग मिलेगी, जो कोर्स की अवधि (2‑5 साल) तक दो किस्तों में – ₹15,000 + ₹15,000 – प्रदान की जाएगी। पात्रता के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- सरकारी स्कूल से वर्ग 10 और 12 दोनों पास करना।
- किसी मान्यता प्राप्त स्नातक या डिप्लोमा कोर्स में नामांकित होना।
- कोर्स की अवधि 2‑5 वर्ष होनी चाहिए।
- पहले वर्ष के छात्र या डिप्लोमा में प्रथम वर्ष के छात्र ही आवेदन कर सकते हैं।
सरकारी कॉलेज, विश्वविद्यालय और चयनित निजी संस्थानों दोनों को शामिल किया गया है, जिससे दूरदराज के क्षेत्रों में भी विकल्प बने रहेंगे।
आवेदन प्रक्रिया और समय‑सीमा
आवेदन ऑनलाइन – azimpremjifoundation.org – पूरी तरह से मुफ्त है। पहली दौर का आवेदन 10 सितंबर 2025 से शुरू होकर 30 सितंबर 2025, रात 11:59 PM पर बंद हो जाएगा। दो‑तीसरे दौर की विंडो 10 जनवरी 2026 से 30 जनवरी 2026 तक खुली रहेगी। दस्तावेज़ PDF/PNG/JPG फ़ॉर्मेट में, फ़ाइल‑साइज़ 30‑500 KB के बीच होना चाहिए।
फ़ाउंडेशन की प्रवक्ता शिवानी झा ने कहा, "हमने आवेदन प्रक्रिया को जितना संभव हो सके सहज बनाया है, ताकि हर लड़की की आवाज़ सुनी जा सके।"
समीक्षा के बाद चयनित छात्राओं को ई‑मेल और SMS के ज़रिए सूचना भेजी जाएगी, और फिर पहला ₹15,000 उनके बैंक खाते में ट्रांसफ़र किया जाएगा।
भौगोलिक कवरेज और पायलट जिला
छात्रवृत्ति 18 राज्यों‑संघ क्षेत्रों में लागू होगी: अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपूर, मेघालय, मिज़ोरा, नागालैंड, ओडिशा, पुदुचेरी, राजस्थान, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड। राजस्थान और उत्तर प्रदेश में यह पायलट चरण में चल रही है।
राजस्थान में 22 जिलों – अजमेर, अलवर, बालोतरा, बांसवाड़ा, बारान, बारमेर, चित्तौड़गढ़, डुडू, दुंगरपुर, जयपुर, जयपुर (ग्रामिन), जालोर, जोधपुर, केकरी, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सलुमबार, सावई माधोपुर, सिरोही, टोंक, उदयपुर – को कवर किया गया है। उत्तर प्रदेश में 35 जिलों में अम्बेडकर नगर, अमेठी, अयोध्या, आजमगढ़, बहराच, बलिया, बलरामपुर, बंडा, बड़ाबंकी, बस्ती, चंदौली, चित्रकोट, देओरिया, फ़तेहपुर, गाज़ीपुर, गोण्डा, गोरखपुर, जौनपुर, कौशाम्बी, कुशीनगर, लखनऊ आदि शामिल हैं।
एक शिक्षा विशेषज्ञ, प्रो. रात्री बासु, ने टिप्पणी की, "इतनी विस्तृत भौगोलिक पहुँच इस बात का संकेत देती है कि सरकार‑निगरानी वाले स्कूलों में लड़कियों की भागीदारी को वास्तविक रूप से बढ़ाया जा रहा है।"
प्रभाव और भविष्य की योजना
यदि सभी 2.5 लाख छात्राएँ पूरी सहायता प्राप्त कर लें, तो अनुमान है कि अगले पाँच साल में सरकारी स्कूल के स्नातक‑स्तर पर महिला‑शिक्षा की दर 5‑6 % तक बढ़ेगी। इसका सीधा असर श्रम‑बाजार में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने, शिशु मृत्यु दर को घटाने और सामाजिक सूचकांकों को सुधारने में होगा।
फ़ाउंडेशन ने बताया कि इस वर्ष के बाद 2027‑2028 में एक ‘सतत समर्थन’ मोड लॉन्च किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को नौकरी‑परामर्श, स्किल‑डवलपमेंट कार्यशालाएँ और मेंटर‑शिप प्रदान की जाएगी। इस प्रकार स्कीम केवल वित्तीय सहायता नहीं, बल्कि संपूर्ण कैरियर निर्माण का मंच बनना चाहती है।
Frequently Asked Questions
छात्रवृत्ति का लाभ कौन‑कौन ले सकता है?
सरकारी स्कूल में पढ़ी हुई और 10वीं‑12वीं दोनों पास करने वाली लड़कियों को, जो मान्यता प्राप्त स्नातक या डिप्लोमा कोर्स में पहले वर्ष में दाखिला लेती हैं, यह ₹30,000 वार्षिक सहायता मिल सकती है।
अर्ज़ी कब‑से कब तक खुली रहेगी?
राउंड 1 का आवेदन 10 सितंबर 2025 से शुरू होकर 30 सितंबर 2025, रात 11:59 PM पर बंद होगा। राउंड 2 10 जनवरी 2026 से 30 जनवरी 2026 तक खुली रहेगी।
भुगतान दो किस्तों में क्यों किया जाता है?
पहली किस्त कोर्स शुरू होने के बाद तुरंत जारी किया जाता है, जबकि दूसरी किस्त को मध्य‑सत्र में छात्रा की एCADEमिक प्रगति के आधार पर जारी किया जाता है, ताकि निरंतर पढ़ाई को प्रोत्साहन मिले।
क्या निजी कॉलेज में पढ़ाई करने वाली छात्राएँ भी पात्र हैं?
हाँ, चयनित भरोसेमंद निजी संस्थानों में पढ़ाई करने वाली छात्राओं को भी यह स्कीम मिल सकती है, बशर्ते वे सरकारी‑स्कूल की स्नातक पदवी रखने वाली हों और मान्यताप्राप्त कोर्स में दाखिला लिया हो।
भविष्य में इस स्कीम में क्या बदलाव की उम्मीद है?
फ़ाउंडेशन 2027‑2028 में एक सतत समर्थन मॉडल पेश करने की तैयारी में है, जिसमें मेंटरिंग, स्किल‑डवलपमेंट और प्लेसमेंट सहायता शामिल होगी, ताकि छात्राएँ अपने करियर में आगे बढ़ सकें।
Rashi Nirmaan 29.09.2025
अज़ीम प्रेंजी छात्रवृत्ति सरकार‑निगरानी वाले स्कूलों में लड़कियों के भविष्य को उज्ज्वल बनाती है। यह पहल आर्थिक भार कम करने के साथ-साथ उच्च शिक्षा की इच्छा को साकार करती है।
Ashutosh Kumar Gupta 29.09.2025
ऐसे स्कीमों से सामाजिक मान्यताएँ बदलती हैं।
fatima blakemore 29.09.2025
भाई, इस फंडिंग से बहुत सारी लड़कियों को कॉलेज की fees की चिंता नहीं रह जाएगी। सरकारी स्कूलों में पढ़ी लड़कियों को अब ऐसा समर्थन मिलना बहुत मायने रखता है। याद रखो, अवसर सिर्फ तभी मिलता है जब हम उसके लिये तैयार हों।
Priya Patil 29.09.2025
मैं देखती हूँ कि इस छात्रवृत्ति ने कई परिवारों को राहत दी है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ शिक्षा की लागत एक बड़ा बोझ होती है, यह मदद बहुत बड़ी है। दो किस्तों में भुगतान करने का तरीका विद्यार्थियों को निरंतर पढ़ाई पर फोकस रखने में मदद करता है। आशा करती हूँ कि आगे भी इस तरह की योजनाएँ आती रहें।
Maneesh Rajput Thakur 29.09.2025
ध्यान देने योग्य है कि पात्रता में केवल सरकारी स्कूल की स्नातक डिग्री आवश्यक है।
ONE AGRI 29.09.2025
इस स्कीम ने पिछले साल कई करोड़ रुपये का निवेश किया है।
प्रत्येक छात्रा को मिल रहे ₹30,000 से उनकी आर्थिक तनाव में काफी कमी आई है।
कई घरों में यह राशि ट्यूशन फ़ी और पुस्तक खर्चों को कवर करती है।
विशेषकर उन इलाकों में जहाँ पढ़ाई के लिए संसाधनों की कमी है, यह फंडिंग जीवन बदल देती है।
जब छात्रा को पहला ₹15,000 मिल जाता है तो वह तुरंत कोर्स की शुरुआत कर सकती है।
दूसरा भुगतान मध्य-सेमेस्टर में मिलने से पढ़ाई की निरंतरता बनी रहती है।
इस प्रक्रिया ने छात्रों को अपने अकादमिक प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रेरित किया है।
कई विश्वविद्यालयों ने भी इस स्कीम के साथ तालमेल बिठाया है और अतिरिक्त वर्कशॉप्स आयोजित की हैं।
छात्राओं ने बताया कि वित्तीय सहायता के कारण वे अब पार्ट‑टाइम नौकरी नहीं करनी पड़ती।
इससे उनका अध्ययन में फोकस पूरी तरह से शिक्षा पर ही रहता है।
इस प्रकार समाज में महिलाओं की शिक्षा का स्तर धीरे‑धीरे बढ़ रहा है।
भविष्य में रोजगार के अवसर भी इन शिक्षित लड़कियों के लिए बेहतर होंगे।
सरकार और निजी सेक्टर को मिलकर ऐसे और बड़े पैमाने के कार्यक्रम चलाने चाहिए।
हमें यह देखना चाहिए कि किस तरह इस फंडिंग को और अधिक पारदर्शी बनाया जाए।
अंत में, यह कहना उचित है कि शिक्षा के साथ आर्थिक सुरक्षा का यह मॉडल अन्य क्षेत्रों में भी दोहराया जाना चाहिए।
Himanshu Sanduja 29.09.2025
बिलकुल सही, इस प्रकार की सहायता से छात्राओं का आत्मविश्वास बढ़ता है।