अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक दृष्टिकोण से हुई, जब उन्होंने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने अपनी बात में कहा, 'योग भारत की पुरातन परंपरा का एक अनमोल उपहार है। यह शरीर और मन, विचार और क्रिया, संयम और पूर्णता का समन्वय है। यह मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य का संगम है। यह स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण है।' प्रधानमंत्री मोदी के इस विचार को संयुक्त राष्ट्र ने बहुत जल्द मान्यता दी और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित कर दिया। पहली बार यह दिन 21 जून 2015 को मनाया गया।

21 जून का विशेष महत्व

21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए क्यों चुना गया, इसका भी एक विशेष कारण है। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन होता है, जिसे ग्रीष्म संक्रांति के रूप में जाना जाता है। यह दिन योग और आध्यात्मिकता के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन प्राचीन भारत में योग की उत्पत्ति से जुड़ी कई कथाएं और मान्यताएं हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।

2024 की थीम: 'स्वयं और समाज के लिए योग'

2024 के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 'स्वयं और समाज के लिए योग' है। यह थीम व्यक्ति और समाज के कल्याण के लिए योग के महत्व को रेखांकित करती है। योग सिर्फ व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के समग्र कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह थीम लोगों को प्रेरित करती है कि वे न केवल स्वयं स्वस्थ रहें बल्कि समाज की भलाई के लिए भी योग करें।

योग सिर्फ अजाने आसनों और प्राचीन शास्त्रों का पालन करने की विधि नहीं है, बल्कि यह एक जीवन शैली है। किसी भी व्यक्ति के लिए योग का सरलीकरण स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है। सांस्कृतिक तौर पर देखें तो योग ही एक ऐसा माध्यम है जिससे न सिर्फ व्यक्ति स्वस्थ होता है बल्कि उसके आस-पास का समाज भी स्वस्थ और खुशहाल होता है।

योग के लाभ

योग के लाभ

योग के ढेरों लाभ हैं, जो सिर्फ शरीर को ही नहीं बल्कि मन को भी प्रभावित करते हैं। योग करने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है, मन की शांति मिलती है, और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। नियमित योगाभ्यास से शरीर में लचीलापन बढ़ता है, मांसपेशियों की मजबूती बढ़ती है और आत्मविश्वास व सुधार होता है। इसके साथ ही, योग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है, जिससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

योग: एक वैश्विक आंदोलन

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग अब एक वैश्विक आंदोलन बन गया है। भारत और भारतीय संस्कृति के इस अनमोल उपहार ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। योग के इस आंदोलन ने कई लोगों को स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में प्रेरित किया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोग योग का अभ्यास कर रहे हैं और इसके लाभों का अनुभव कर रहे हैं।

योग के महत्व को समझते हुए, कई देशों में इसके लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं, और लोगों को योग सिखाने के लिए प्रशिक्षकों की नियुक्ति की गई है। यह देखना अद्भुत है कि योग अब सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पूरे विश्व में फैल चुका है।

योग की वर्तमान स्थिति

आज के समय में भी योग की जड़ें बहुत मजबूत हैं। लोग अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योग कर रहे हैं। वर्तमान रूप में, योग को केवल एक शारीरिक व्यायाम के रूप में नहीं देखा जा रहा है, बल्कि इसे मानसिक और आध्यात्मिक लाभों के लिए भी पहचाना जा रहा है। योग के विभिन्न प्रकार, जैसे कि हठ योग, अष्टांग योग, कुंडलिनी योग, मन योग आदि आज के समय में बहुत लोकप्रिय हो चुके हैं।

इसके साथ ही, योग का प्रशिक्षण ऑनलाइन माध्यमों से भी प्राप्त किया जा सकता है, जिससे लोग अपने घर में आराम से योग कर सकते हैं। यह एक बड़ी सुविधा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इस प्राचीन भारतीय कला का लाभ उठा सकते हैं और अपने जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं।

योग के लिए सरकारी प्रयास

योग के लिए सरकारी प्रयास

भारतीय सरकार ने भी योग को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। योग को स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जिससे बच्चों और युवाओं को बचपन से ही इसका महत्व समझाया जा सके। इसके अलावा हर साल 21 जून को भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं।

विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने भी योग को प्रोत्साहित करने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं चलाई हैं। योग से संबंधित शोध संस्थान और विश्वविद्यालयों में शोध कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिससे योग के वैज्ञानिक आधार को और मजबूत किया जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2024

2024 का अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष रूप से खास होने वाला है क्योंकि यह इसका 10वां वर्षगांठ है। इस वर्ष की थीम 'स्वयं और समाज के लिए योग' भी बहुत महत्वपूर्ण है, जो लोगों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य के साथ-साथ समाज के कल्याण के लिए भी प्रेरित करेगी।

इस वर्ष के आयोजन में विशेष रूप से कई नए और रोचक कार्यक्रम शामिल किए जाएंगे। विभिन्न योग सत्र होंगे, जिनमें योग विशेषज्ञ और प्रशिक्षक अपने अनुभव साझा करेंगे। इसके अलावा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे, जो भारतीय संस्कृति और योग के महत्व को रेखांकित करेंगे।

निष्कर्ष

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह योग के महत्व को समझने और उसे अपने जीवन में अपनाने का संदेश देता है। योग न सिर्फ हमारी शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि यह हमारे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को भी सुधारता है। आइए, इस 21 जून को हम सभी योग के इस महोत्सव को मनाएं और स्वयं और समाज के कल्याण के लिए योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।