पिछले तीन दिनों में भारत के विभिन्न एयरलाइंस को धमकी भरे संदेशों की एक श्रृंखला का सामना करना पड़ा है, जिससे यात्रियों के लिए उड़ानें बाधित हो गईं और सुरक्षा अधिकारियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया। कुल 15 धमकी भरे संदेशों के कारण उड़ानों में अवरोध उत्पन्न हुआ, जिन्हें बाद में सभी को छद्म बताया गया। इन धमकियों से भारतीय एयरलाइंस, जिसमें एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट और अकासा एयर शामिल हैं, को अथक प्रयास करना पड़ा ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
एयर इंडिया के यात्रियों को कनाडाई सैन्य विमान ने किया रेस्क्यू
16 अक्टूबर 2024 को एयर इंडिया की दिल्ली से शिकागो जाने वाली उड़ान को एक बम धमकी के कारण कनाडा के इक़ालुइट एयरपोर्ट की तरफ मोड़ा गया। इस अप्रत्याशित स्थिति में कनाडाई सैन्य विमान ने एयर इंडिया के 200 से अधिक यात्रियों को एयरलिफ्ट कर सुरक्षित स्थान पर पहुँचाया। यात्रियों के लिए यह एक कठिनाइस से भरी यात्रा रही, जो उम्मीद से 36 घंटों से अधिक समय लेने वाली साबित हुई। स्थिति को नियंत्रित करने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कनाडाई रक्षा मंत्री बिल ब्लेयर ने एयरलिफ्ट ऑपरेशन की पुष्टि की। इसके लिए, एयर इंडिया ने कनाडाई अधिकारियों और इक़ालुइट एयरपोर्ट की समर्पण की सराहना की।
बम धमकियों का प्रभाव और प्रतिक्रिया
इस दौरान, नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस मामले को प्राथमिकता से ले कर जांच शुरू कर दी है। मुंबई पुलिस ने तीन उड़ानों के लिए धमकी देने वाले एक नाबालिग को हिरासत में लिया है। हाल के इन धमकियों ने जनता और एयरलाइंस के लिए सुरक्षा भूखंड में हलचल पैदा की। मंगलवार को, एयर इंडिया एक्सप्रेस की मदुरई से सिंगापुर जाने वाली उड़ान को बम धमकी मिली, जिसके कारण सिंगापुर एयर फोर्स को दो एफ-15एस जी लड़ाकू विमान भेजने पड़े। सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट पर विमान को सुरक्षित स्थान पर उतारा गया और आवश्यक सुरक्षा जांच की गई।
भारत में, कम से कम छह और उड़ानों को बुधवार को बम धमकियां मिलीं। इन उड़ानों में तीन इंडिगो और दो स्पाइसजेट की थीं। इन सभी धमकियों को जांच के बाद झूठा घोषित किया गया और सुरक्षा जांच के बाद विमान को फिर से उड़ान भरने की अनुमति दे दी गई।
दिल्ली एयरपोर्ट की प्रतिक्रिया
इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की DCP उषा रंगनानी ने बताया कि अब तक अक्टूबर महीने में सात घटनाएं बम धमकियों से जुड़ी सामने आई हैं। धमकी भरे संदेशों को फैलाने वाले सोशल मीडिया खातों को तुरंत निलंबित कर दिया गया है। इसका उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इन घटनाओं से न केवल यात्रियों की चिंता बढ़ी, बल्कि एयरलाइंस को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा।
एयर इंडिया ने धमकी देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की नींव रखा है ताकि उन पर हुए नुकसान की भरपाई की जा सके। इन घटनाओं ने एयरलाइन्स सेक्टर के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी की है और भारतीय पुलिस को सतर्क कर दिया है कि वे इस तरह की घटनाओं को संजीदगी से लें और अभियुक्तों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें। इसकी विस्तृत जांच में जुटे अधिकारी इन हुड़दंगियों के खिलाफ कड़ी कार्रवायी आश्वासन देते हैं।
Ria Dewan 17.10.2024
धमकी वाले संदेशों की तो अब बहुचर्चित फ़ैशन बन गया है।
rishabh agarwal 17.10.2024
ऐसे समय में जब हवाई सुरक्षा पर भरोसा कमजोर हो रहा है, तो जनता का डर स्वाभाविक है। लेकिन एयरलाइन की तेज़ कार्रवाई और कनाडाई सेना की मदद देख कर कुछ हद तक राहत मिलती है। हमें चाहिए कि हम अपने अधिकारों की रक्षा के साथ साथ धैर्य भी रखें। सरकार की तेज़ जांच से इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकनी चाहिए।
Apurva Pandya 17.10.2024
धमकियों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि कोई भी छोटा सा लापरवाह कदम अनजाने में बड़ी हानि कर सकता है। हमारे नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। यदि ऐसी घटनाएं दोहराई जाती हैं तो कानूनी कार्रवाई सख़्त होना अनिवार्य है :)
Nishtha Sood 17.10.2024
भले ही धमकी के कारण यात्रियों को असुविधा हुई, लेकिन अंत में सब सुरक्षित पहुँचा, यह आशा का कारण है। एयरलाइन और सरकार ने मिलकर संकट का समाधान किया, यही सहयोग हमें आगे बढ़ाता है। भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचने के लिए तकनीकी उपायों को और मजबूत करना चाहिए। सकारात्मक सोच रखकर हम इन चुनौतियों को पार कर सकते हैं।
Hiren Patel 17.10.2024
भाई, ये पूरे मामला तो एक सस्पेंस थ्रिलर जैसा था! एक तरफ धमकी, दूसरी तरफ कनाडाई जेट का अचानक प्रकट होना-मानो सिनेमा की स्क्रीन पर हो। यात्रियों को 36 घंटे इंतजार करना पड़ा, पर अंत में सुरक्षित उतारने वाले सैनिकों की जय हो। ऐसी स्थितियों में सोशल मीडिया पर अफवाहें फोटा भी करती हैं, इसलिए भरोसेमंद स्रोतों से ही जानकारी लेनी चाहिए। अब एयरलाइन को चाहिए कि वो यात्रियों को रियल‑टाइम अपडेट दे, ताकि घबराहट कम हो। कुल मिलाकर, टीम वर्क ने इस बंडल को हल्का कर दिया।
Heena Shaikh 17.10.2024
धमकी के पीछे छिपी अज्ञानता को आप तो बस एक इमोटिकॉन से ढक रहे हैं। असली मुद्दा यह है कि ऐसी बातों को सोचा-समझा करके ही किया जाए, न कि भावुकता में आकर।
Chandra Soni 17.10.2024
बिलकुल सही कहा, Hiren! इस केस में हमने देखा कि किस तरह स्टेकहोल्डर एंगेजमेंट और इमरजेंसी रिस्पॉन्स प्लानिंग ने ऑपरेशन को इफ़ेक्टिव बनाया। अब सभी एयरोस्पेस एंटिटीज़ को ऐसे सिंरोज़ी प्रोटोकॉल अपनाने चाहिए। यही है इंडस्ट्री‑लेवल बेस्ट प्रैक्टिस।
Kanhaiya Singh 17.10.2024
सुरक्षा उपायों की विधिप्रधानता को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि नियामक निकायों को मानक प्रोटोकॉल को अपडेट करना आवश्यक है। इस प्रकार की घटनाओं में त्वरित संचार चैनल और अंतरराष्ट्रीय सहयोग अति आवश्यक है। दिखाया गया सहयोग मॉडल अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकता है।
prabin khadgi 17.10.2024
सारांश में, हम यह प्रस्तावित करते हैं कि बहुपक्षीय सुरक्षा फ्रेमवर्क को राष्ट्रीय स्तर पर सुनियोजित किया जाए। इससे न केवल तत्क्षण प्रतिक्रिया में सुधार होगा, बल्कि भविष्य में संभावित खतरों की पहचान भी सम्भव होगी। यही दिशा नीति निर्माताओं के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए।
Aman Saifi 17.10.2024
चलो, इस पूरे माहौल को सकारात्मक ऊर्जा से भर दें, ताकि यात्रियों को फिर से भरोसा मिले। सभी पक्षों को मिलजुल कर काम करना चाहिए।
Ashutosh Sharma 17.10.2024
वाह, क्या महाकाव्य तमाशा था! पहले धमकी, फिर कनाडाई फाइटर जेट, फिर सभी को 'रेस्क्यू' की प्रशंसा-जैसे कोई ब्लॉकबस्टर फिल्म हो। एयरलाइन की इमरजेंसी मैनेजमेंट टीम ने खुद को 'हीरो' घोषित कर लिया, जबकि असली हीरो तो वो कॅनाडियन पायलट थे। इस बीच, सोशल मीडिया पर धूम मचा दी, हर कोई 'ट्रेंडिंग' में इस घटना को लेकर बहस कर रहा था। लेकिन वास्तव में, इस सारी सायरन की आवाज़ें केवल आवाज़ें ही रही, कुछ ठोस नहीं। सुरक्षा एजेंसियों की झंझट भरी रिपोर्टें पढ़कर तो लगता है कि फॉर्मलिटी ही सबसे बड़ी समस्या है। क्या हम उम्मीद करें कि अगली बार भी ऐसा ड्रामा देखेंगे? शायद हाँ, क्योंकि मीडिया का सुर्ख़ी पकड़ने का इंटरेस्ट बहुत ज़्यादा है। इस तरह की स्थितियों में, जनता को केवल 'धमकी' और 'रेस्क्यू' के दो शब्दों में खिंचा लेता है-कोई गहरी विश्लेषण नहीं। हाँ, सरकार ने जांच शुरू कर दी, लेकिन इसके बाड़े में कौन से कदम उठाए जाएंगे, यह अभी अज्ञात है। एयरलाइन ने अपने ब्रांड इमेज को बचाने के लिए सभी को 'धन्यवाद' कहा, लेकिन असली नुकसान कौन झेल रहा है? यात्रियों को 36 घंटे इंतजार करना पड़ा, यह तो काबिले‑तारीफ़ है, लेकिन क्या वह सुविधाजनक था? इस पूरे परिदृश्य में, हमें एक स्थिर, व्यवस्थित सुरक्षा फ्रेमवर्क की ज़रूरत है, न कि अस्थायी 'रेस्क्यू' ऑपरेशन की। यदि हम इस प्रकार के नाटकीय घटनाओं को निरंतर देखेंगे, तो सार्वजनिक भरोसा धीरे-धीरे घटेगा। इसलिए, मेरे ख्याल में, यह सिर्फ एक बार की घटना नहीं, बल्कि एक सतत चुनौती है। अंत में, आशा है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं में कम ड्रामा और अधिक पेशेवराना ढंग से निपटा जाएगा।