नए वैरिएंट NB.1.8.1 और XEC का खतरनाक प्रोफ़ाइल

2025 में कोविड‑19 के दो नए स्ट्रेन—NB.1.8.1 और XEC—देश‑विदेश में बड़ी चर्चा बन चुके हैं। ये दोनों वैरिएंट केवल बुखार या हल्के सर्दी‑जैसे लक्षण नहीं देते; वे सीधे फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, जिससे सांस लेने में दिक्कत, स्थायी खाँसी और यहाँ तक कि न्यूमोनिया तक हो सकता है।

COVID-19 के इस नये दौर में, विशेषज्ञों ने देखा है कि ये वैरिएंट्स पहले की तुलना में अधिक समय तक खाँसी कराते हैं—एक घंटे लगातार या 24 घंटे में तीन बार से अधिक खाँसी की घटना आम है। इसके साथ ही ताप, ठंड लगना, गैले में जलन, नाक बंद होना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, सिर दर्द, भूख न लगना, उल्टी, दस्त, और स्वाद‑गंध की कमी भी रिपोर्ट की गई है।

XEC वैरिएंट, जो LP.8.1 के साथ मिलकर मार्च 2025 तक नए मामलों का 73% हिस्सा बन चुका है, में भी वही लक्षण मिलते‑जुलते हैं, लेकिन फेफड़े की सूजन की तीव्रता अधिक देखी गई है। रोगियों को अक्सर छाती में जलन या दर्द महसूस होता है, कभी‑कभी यह दर्द रीढ़ की हड्डी तक फैल जाता है। इस प्रकार की स्थिति अगर देर तक untreated रहती है तो ब्रॉनकाइटिस, तीव्र श्वसन लक्षण (ARDS) और अंततः तीव्र श्वसन विफलता तक पहुँच सकती है।

लक्षण दिखते ही क्या करें? तुरंत कदम

लक्षण दिखते ही क्या करें? तुरंत कदम

डॉक्टरों का एक आम संदेश है: लक्षण शुरू होते ही तेज़ी से कार्रवाई करें, टेस्ट के परिणाम का इंतजार न करें। पहला कदम है फेस मास्क लगाना—भले ही आप घर के अंदर हों, अगर दूसरों के साथ संपर्क में हों तो मास्क लगाना जरूरी है। दूसरा, खुद को अलग रखें। घर के भीतर भी एक कमरे में अकेले रहें, और हर 2‑3 घंटे में हवा बदलें।

तीसरा, तुरंत एंटीजन टेस्ट किट (ATK) के ज़रिए खुद का परीक्षण करें। अगर परिणाम पाज़िटिव आता है, तो डॉक्टर से संपर्क करते ही अस्पताल में भर्ती करवाएं। कई बार लोग परिणाम का इंतजार कर देते हैं, पर शुरुआती इलाज में देर करना रोग की गंभीरता बढ़ा सकता है।

  • लक्षण के साथ तुरंत मास्क पहनें
  • एक कमरे में अकेले रहें, वेंटिलेशन बेहतर रखें
  • ATK से जल्दी टेस्ट करें, पाज़िटिव हो तो तुरंत अस्पताल जाएँ
  • अगर आप हाई‑रिस्क समूह में हैं, तो प्राथमिक डॉक्टर को पहले से बताना अच्छा रहेगा

हाई‑रिस्क समूहों में शामिल हैं:

  1. गर्भवती महिलाएं (टिकाकरण सुरक्षित है)
  2. 6 महीने से 2 साल तक के छोटे बच्चे
  3. 60 वर्ष या उससे ऊपर के बुजुर्ग
  4. वजन 100 किलोग्राम से ऊपर या BMI >35 वाले लोग
  5. सात आम chronic diseases वाले रोगी: COPD, ह्रदय रोग, किडनी रोग, दमा, मधुमेह, स्ट्रोक, कैंसर

इन समूहों को लक्षण दिखते ही डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि उनके पास गंभीर जटिलताओं का जोखिम अधिक होता है। अतिरिक्त जोखिम कारकों में अनटिकाकरण, 50 साल से ऊपर की उम्र, कीमोथेरेपी या इम्यूनो‑सप्रेसिव दवाओं का सेवन, धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेस्चर, मोटापा, और पहले से मौजूद फेफड़े की बीमारी शामिल हैं।

वैक्सीनेशन अभी भी सबसे भरोसेमंद बचाव का तरीका है। नवीनतम वैक्सीन विशेष रूप से NB.1.8.1 और XEC वैरिएंट को लक्षित करके तैयार किए गए हैं। स्वास्थ्य एजेंसियां हर 6‑12 महीने में बूस्टर डोज़ लेने की सलाह देती हैं, खासकर हाई‑रिस्क लोगों को। टिका लेने से गंभीर बीमारी, हॉस्पिटल में भर्ती और लंबी अवधि की जटिलताओं (लॉन्ग‑कोविड) का खतरा काफी घट जाता है।

एक और महत्वपूर्ण बात है पैक्स्लोविड़ (Paxlovid) का समय पर उपयोग। लक्षण दिखने के पाँच दिन के भीतर यह एंटी‑वायरल दवा ली जाए तो अस्पताल में भर्ती या मृत्यु की संभावना को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। इसलिए, शुरुआती उपचार में देरी न करें। डॉक्टर से तुरंत परामर्श लें और दवा लेनी हो तो निर्देशानुसार शुरू करें।

रोज़मर्रा की रोकथाम के उपाय भी कभी कम नहीं होते। नियमित हाथ धोना, धूल‑मिट्टी वाले स्थानों से बचना, कमरे में ताज़ी हवा का प्रवाह बनाये रखना, और अपने COVID‑19 वैक्सीन शॉट्स को अपडेटेड रखना अभी भी सबसे असरदार है।

जैसे ही वायरस नई म्यूटेशन्स बनाता है, CDC लगातार लक्षण की तीव्रता और रोग की गंभीरता पर नज़र रख रहा है। अभी तक नई वैरिएंट्स को पहले के मुकाबले कम गंभीर माना जा रहा है, लेकिन फेफड़ों की समस्या अभी भी प्रमुख है। इसलिए, लक्षण महसूस होते ही तुरंत कदम उठाना, टेस्ट करना, और डॉक्टरी मार्गदर्शन लेना सबसे समझदारी भरा निर्णय है।