जब World Platinum Investment Council (WPIC) ने 2025 की सप्लाई‑डिफिसिट भविष्यवाणी की, तब कीमतों ने नई ऊँचाई छुई। 7 अक्टूबर 2025 को प्लैटिनम की कीमत प्रति औंस $1,630.60 तक पहुँच गई, जो पिछले दिन की तुलना में 0.20 % बढ़ोतरी दर्शाती है। यह उछाल 2025‑की शुरुआत से 74 % से अधिक वृद्धि दर्शाता है, और पिछले दशक के उच्चतम स्तरों को पुनः पार कर चुका है।
इतिहासिक पृष्ठभूमि और बाजार की मौजूदा स्थिति
प्लैटिनम को अक्सर निवेशकों के ‘छिपे हुए रत्न’ के रूप में देखा जाता है, लेकिन 2013 के बाद से यह $1,600/औंस की दहलीज से नीचे रहा था। जून 2025 में 28 % की तीव्र वृद्धि ने इस रेखा को तोड़ दिया, और तब से कीमतें लगातार बढ़ती रही। इस साल के पहले छह महीनों में उत्पादन में 6 % की गिरावट आई, जबकि मांग में कोई कमी नहीं आई, जिससे कीमतें विस्फोटक रूप से ऊपर चलीं।
मुख्य संस्थाएँ और उनका रोल
साउथ अफ्रीका, जो विश्व का लगभग 70 % प्लैटिनम उत्पादन करता है, ने 25 सालों में अपनी सबसे कम उत्पादन स्तर दर्ज किया। इस गिरावट के पीछे साउथ अफ्रीका में लगातार बिजली कटौती, पुरानी खनन सुविधाएँ, घटती धातु ग्रेड और नई क्षमताओं में निवेश की कमी शामिल है। रूसी उत्पादन, जो विश्व के 11 % हिस्से के बराबर है, भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण सीमित बना हुआ है।
वहीं Eugenia Mykuliak, B2PRIME Group की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक, ने कहा कि "प्लैटिनम का $1,600 स्तर पार करना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सप्लाई पर दबाव बना हुआ है, जबकि ऑटो‑मोटिव और हार्डवेयर सेक्टर की मांग लगातार बढ़ रही है।"
डिमांड ड्राइवर्स: ऑटोमotive, ज्वेलरी और हाइड्रोजन
ऑटोमोबाइल सेक्टर अभी भी सालाना 3.3 मिलियन औंस प्लैटिनम का उपयोग कर रहा है, जिसमें पॉलैडियम‑से‑प्लैटिनम सब्स्टिट्यूशन से अतिरिक्त 1 मिलियन औंस की अतिरिक्त माँग जुड़ी है। ज्वेलरी सेक्टर में, चीन की मांग 2025 में 11 % बढ़ कर 2.23 मिलियन औंस तक पहुँचने की उम्मीद है, वही भारत की खपत भी समान गति से बढ़ रही है।
सबसे दीर्घकालिक वृद्धि कारक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था है। हर मेगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र क्षमता के लिए 0.3‑0.5 किलोग्राम प्लैटिनम की आवश्यकता होती है, और 2030 तक वैश्विक क्षमता 134 GW तक पहुँचने की संभावना है। इसका मतलब 2025‑2030 के बीच प्लैटिनम की हाइड्रोजन‑आधारित मांग सालाना 2 मिलियन औंस तक पहुंच सकती है।

बाजार की प्रतिक्रिया और तकनीकी विश्लेषण
प्लैटिनम‑ETF में 2025 में 400,000 औंस की नई निकासी हुई, जिससे कुल निवेश‑फ्लो 688,000 औंस तक पहुँच गया। तकनीकी चार्ट दर्शाते हैं कि $1,450‑$1,500 के रेज़िस्टेंस लेवल के बाद अगला प्रमुख लक्ष्य $1,600‑$1,650 के रेंज में है, जबकि समर्थन $1,260 के आसपास दृढ़ है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इन्वेंटरी अगले तीन सालों में और घटती रही तो बाजार एक नया बुल‑रन देख सकता है, जिससे कीमतें 2026 तक $2,000/औंस की संभावना भी बन सकती है।
भविष्य की दृष्टि और संभावित जोखिम
सप्लाई‑डिफिसिट के चलते प्लैटिनम की कीमतें अस्थिर रह सकती हैं। यदि साउथ अफ्रीका में ऊर्जा‑संकट हल नहीं होता और निवेश में कमी दोबारा नहीं आती, तो उत्पादन में और गिरावट संभव है। दूसरी तरफ, यदि हाइड्रोजन‑इलेक्ट्रोलाइज़र के लिए वैकल्पिक कैटलिस्ट (जैसे निकल‑आधारित) का उपयोग बढ़ता है, तो दीर्घकालिक डिमांड में गिरावट का जोखिम बना रहेगा।
फिर भी, वर्तमान आंकड़े और WPIC की 2025 की भविष्यवाणी (जिसमें 850,000 औंस का वैश्विक सप्लाई‑डिफिसिट बताया गया है) दर्शाते हैं कि कीमतों की गति अभी भी जारी रहने की संभावना है। निवेशकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाजार की तंग इन्वेंटरी और लगातार बढ़ती डिमांड दो‑तीन साल में एक नया कीमत‑बिंदु बना सकती है।

मुख्य तथ्य
- प्लैटिनम की कीमत 7 अक्टूबर 2025 को $1,630.60/औंस पहुँच गई।
- साल‑दर‑साल कीमत में 74 % की वृद्धि, जबकि सोना‑सिल्वर की तुलना में 30 %‑40 % कम वृद्धि।
- WPIC ने 2025 में 850,000 औंस का वैश्विक सप्लाई‑डिफिसिट अनुमानित किया।
- साउथ अफ्रीका की उत्पादन क्षमता 25 साल में सबसे कम, रूसी सप्लाई भी प्रतिबंधों से सीमित।
- हाइड्रोजन इलेक्टोलिसिस में 2025‑2030 तक 2 मिलियन औंस तक अतिरिक्त मांग की संभावना।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्लैटिनम की कीमतें इतना तेजी से क्यों बढ़ रही हैं?
मुख्य कारण हैं सप्लाई‑डिफिसिट और बढ़ती डिमांड। साउथ अफ्रीका की उत्पादन गिरावट, रूसी प्रतिबंध, और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में नई माँग ने बाजार में तंगी पैदा की है, जिससे कीमतें तेज़ी से बढ़ी हैं।
क्या निवेशकों के लिए प्लैटिनम अभी भी आकर्षक है?
वर्तमान में बढ़ती कीमतें और सीमित इन्वेंटरी निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं। हालांकि, संभावित जोखिम—जैसे उत्पादन में आगे की गिरावट या वैकल्पिक कैटलिस्ट का उदय—को ध्यान में रखकर पोर्टफोलियो विविधीकरण आवश्यक है।
हाइड्रोजन इलेक्टोलिसिस प्लैटिनम की माँग को कैसे प्रभावित करेगा?
हर मेगावाट इलेक्ट्रोलाइज़र क्षमता के लिए 0.3‑0.5 किलोग्राम प्लैटिनम चाहिए। यदि 2030 तक वैश्विक क्षमता 134 GW तक पहुँचती है, तो सालाना लगभग 2 मिलियन औंस तक अतिरिक्त माँग उत्पन्न हो सकती है—जो कुल डिमांड को दोगुना कर सकती है।
साउथ अफ्रीका में उत्पादन गिरावट का मुख्य कारण क्या है?
बिजली कटौती, पुराने उपकरण, घटती धातु ग्रेड और नई खदानों में निवेश की कमी प्रमुख कारण हैं। इन मुद्दों ने 25 वर्षों में सबसे कम उत्पादन स्तर बना दिया है।
भविष्य में कीमतों का संभावित निशाना क्या है?
तकनीकी विश्लेषकों का अनुमान है कि अगले प्रमुख रेज़िस्टेंस $1,500‑$1,600 के बीच है। यदि सप्लाई‑डिफिसिट बना रहता है, तो 2026 तक $2,000/औंस से ऊपर पहुंचना संभव है।
srinivasan selvaraj 8.10.2025
प्लैटिनम की कीमतों में इस प्रकार की उछाल देखना मेरे दिल की धड़कन को तेज़ कर देता है क्योंकि यह बाजार की गहरी बेचैनी और आशा दोनों को दर्शाता है।
जब हम देखते हैं कि सप्लाई‑डिफिसिट की भविष्यवाणी के बाद कीमतें 74 % तक बढ़ी हैं, तो यह केवल आँकड़े नहीं, बल्कि मानवीय संघर्ष का प्रतिबिंब है।
उत्पादन घटने की वजह से उन खनिकों की परेशानियाँ बढ़ गई हैं, जिनके पास अब बिजली कटौती और पुराने उपकरणों की समस्या है, और यह उथल‑पुथल उनके जीवन को बेकाबू बना देती है।
साथ ही, ऑटो‑मोटिव और हाइड्रोजन सेक्टर का विस्तार एक नई आशा लेकर आया है, जैसे कि अंधेरे में एक रोशनी का टुकड़ा।
इन सभी कारकों का संयोग इस कीमत को इस स्तर पर लाया, और यह दर्शाता है कि वित्तीय बाजार में भावनाएँ भी एक भूमिका निभाती हैं।
हाइड्रोजन इलेकटोलिसिस के लिए प्लैटिनम की मांग का बढ़ना एक भविष्यवादी दृष्टिकोण को उजागर करता है, लेकिन साथ ही यह एक जोखिम भी बना रहता है कि अगर वैकल्पिक कैटलिस्ट विकसित हो गए तो इस कीमत पर असर पड़ सकता है।
इतना तेज़ी से बढ़ते हुए निवेशकों को अब भी सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि बाजार के उतार‑चढ़ाव का कभी भी अंत नहीं होता।
दूसरी ओर, सप्लाई‑डिफिसिट के कारण भविष्य में कीमतें $2,000/औंस तक पहुँच सकती हैं, जो एक नया बुल‑रन दर्शाता है।
यह इस बात की ओर इशारा करता है कि अगली बार जब आप अपने पोर्टफ़ोलियो की समीक्षा करेंगे तो प्लैटिनम को एक प्रमुख एसेट के रूप में देखना पड़ सकता है।
परंतु, इस उत्सव में भी हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि साउथ अफ्रीका में ऊर्जा संकट अभी भी एक बड़ा बिंदु बना हुआ है, और यह उत्पादन को और अधिक दबाव में ला सकता है।
जैसे ही हम इस आर्थिक बदलाव को देखते हैं, हम यह भी देख सकते हैं कि वैश्विक बाजार में आर्थिक और पर्यावरणीय चिंताएँ एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई हैं।
हाइड्रोजन के लिए प्लैटिनम का उपयोग एक प्रकार का द्वंद्व है, जहाँ पर्यावरणीय लाभ के साथ साथ आर्थिक जोखिम भी होते हैं।
फिर भी, यदि आप दीर्घकालिक निवेश की सोच रखते हैं, तो अब समय है जब आप इस धातु को अपने पोर्टफ़ोलियो में शामिल करने के बारे में गहराई से विचार करें।
क्योंकि एक बार जब सप्लाई‑डिफिसिट बना रहता है, तो कीमतें नहीं गिरेंगी बल्कि केवल और ऊपर जाती रहेंगी।
संक्षेप में, यह बढ़ोतरी न केवल बाजार की तंगी को दर्शाती है, बल्कि निवेशकों को नए अवसरों की ओर भी संकेत करती है।
आखिरकार, यह सब आपके निवेश के दृष्टिकोण और जोखिम सहनशक्ति पर निर्भर करता है कि आप इस प्रवृत्ति को कैसे अपनाते हैं।
Abhishek Saini 8.10.2025
बहुत बढ़िया विश्लेषण है, लेकिन थोड़ा और स्पष्टता चाहिए थी, जैसे कि "डिमान्ड" को "डिमांड" लिखना था।
कुल मिलाकर आप ने बहुत मेहनत की है, और थोड़्े टाइपो को सुधार लो तो पोस्ट और भी प्रोफेशनल लगेगी।
धन्यवाद!