भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और संभावनाएँ

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2025 भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति और भविष्य की संभावनाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इस वार्षिक दस्तावेज़ में वे प्रमुख बिंदु शामिल हैं जो देश की आर्थिक दिशा-निर्देशों को स्पष्ट करते हैं। इसकी शुरुआत 1 फरवरी 2025 को संसद में की गई थी, जिसमें खासतौर पर यह बताया गया कि आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रह सकती है। यह वृद्धि ग्रामीण मांग में सुधार, निर्माण क्षेत्र की वृद्धि और सेवा क्षेत्र के ठोस प्रदर्शन से प्रेरित है।

मुद्राकोष्ता में कमी और रोजगार की स्थिति

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 ने रोजगार और मुद्राकोष्ता की स्थिति पर भी विस्तृत चर्चा की है। रिपोर्ट में यह बताया गया कि खुदरा मुद्रास्फीति जो वित्तीय वर्ष 2024 में 5.4% थी, में गिरावट आकर यह 2024 के अप्रैल से दिसंबर तक 4.9% तक पहुँच गई। यह मुख्य रूप से कोर मुद्राकोष्ता में कमी के कारण हुआ। बेरोजगारी दर का विश्लेषण करते हुए सर्वेक्षण में उल्लेख किया गया है कि यह 2017-18 में 6% से घटकर 2023-24 में 3.2% रह गई है, जो एक सकारात्मक संकेतक है।

खर्च प्रबंधन और वित्तीय संतुलन

सर्वेक्षण के अनुसार, वित्तीय संतुलन के क्रम में भी सकारात्मक प्रगति हो रही है। फिस्कल डेफिसिट पहले नौ महीनों के दौरान अनुमानित 9.1 ट्रिलियन रुपये था, जो कि वित्तीय वर्ष 2025 के अनुमानों का 57% है। यह आंकड़ा भले ही बड़ा है लेकिन जो अनुमान था, उससे कम है, जो वित्तीय प्रबंधन की दिशा में सकारात्मक कदम है।

वित्तीय बजट से उम्मीदें और उत्तरीकृत क्षेत्र

वित्तीय बजट से उम्मीदें और उत्तरीकृत क्षेत्र

आर्थिक सर्वेक्षण ने आगामी बजट 2025-26 से जुड़ी उम्मीदों पर भी प्रकाश डाला है। वित्त मंत्री ने महिला-नेतृत्व में चल रही उद्यमिता को समर्थन देने, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, कर में छूट, एमएसएमई सेक्टर को सहयोग और उच्च स्तरीय चिकित्सा एवं यात्रा से जुड़ी क्षेत्रों की प्रगति की दिशा में नई योजनाओं की घोषणा की संभावना व्यक्त की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्री-बजट सत्र में आर्थिक समावेशन की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए आयकर राहत की शुरुआत का संकेत दिया।

डिजिटलाइजेशन और टिकाऊ विकास की दिशा में प्रयास

सर्वेक्षण में घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव पर ध्यान देते हुए डिजिटलाइजेशन और विनिर्माण क्षेत्र में स्थिरता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, एमएसएमई क्षेत्रों का समर्थन रिसर्च ग्रांट्स के माध्यम से और कम दर पर ऋण सुलभता के माध्यम से करने के प्रयास की भी रूपरेखा तैयार की गई है। इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में भी समेकित कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायक होंगे।