पृष्ठभूमि और GST 2.0 का प्रभाव
भारत सरकार ने हाल ही में GST 2.0 के तहत कई डैरी आइटम्स पर कर दरें घटा दीं। खासकर UHT (लॉन्ग‑लाइफ़) मिल्क पर 5% से शून्य तक कर में बदलाव आया। इस नीति परिवर्तन का मकसद करदाताओं को राहत देना और उपभोक्ता कीमतों को स्थिर रखना था।
गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF), जो अमुल ब्रांड के पीछे है, ने इस अवसर को पकड़ते हुए 22 सितंबर, 2025 से 700 से अधिक पैकेज्ड प्रोडक्ट्स पर कीमतें घटाने का फैसला किया। साथ ही मदर डेयरी ने भी समान तारीख से अपने उत्पादों पर छूट लागू की, जिससे भारतीय डेयरी बाजार में एक नया बदलाव आया।
कीमतों में कटौती का विवरण और संभावित असर
अमुल ने कई श्रेणियों में कीमतों में गिरावट की घोषणा की। मुख्य कटौतियों में शामिल हैं:
- अमुल बटर (100 g) – ₹62 से घटकर ₹58
- घी – प्रति लीटर ₹40 की कमी, नई कीमत ₹610
- UHT मिल्क – अमुल ताज़ा टोन्ड (1 L) में 2.6% की कटौती, अन्य गोल्ड वैरिएंट्स में भी समान कमी
- आइसक्रीम, चीज़, पनीर, चॉकलेट, बेकरी आइटम, फ्रोजन स्नैक्स, कन्डेन्स्ड मिल्क, पीनट स्प्रेड और माल्ट‑बेस्ड ड्रिंक्स में भी मूल्य घटाया गया
मदर डेयरी की कीमतों में बदलाव भी काफी समान रहा। दही, लिट्टी, पनीर और कुछ स्नैक्स की कीमतें 5‑10% तक घटाई गईं, जिससे मध्यम वर्ग के घरों में बजट दबाव कम हुआ।
इन कटौतियों का मुख्य उद्देश्य दो‑तीन चीज़ें हैं: पहली, GST में आई राहत को सीधे ग्राहक तक पहुंचाना; दूसरी, भारत की कम प्रति व्यक्ति डेयरी खपत को बढ़ावा देना; और तीसरी, बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमतों के जरिये ब्रांड की पैठ बढ़ाना। GCMMF के मैनेजिंग डायरेक्टर जयेन् मेहता ने बताया कि नियमित पाउच मिल्क की कीमतें जैसा था वैसी ही रहेंगी क्योंकि उन पर पहले ही शून्य GST लागू है। केवल UHT मिल्क पर ही नई कर दर लागू हुई, इसलिए वही प्रोडक्ट्स कटौती के दायरे में आए।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में उपभोक्ताओं को थोडा आराम देगा। कीमत में घटाव से विशेषकर मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के घरों में डेयरी उत्पादों की उपभोग दर में बढ़ोतरी की उम्मीद है। साथ ही, अमुल और मदर डेयरी जैसे बड़े ब्रांडों की कीमत घटाने की नीति छोटे स्थानीय दूदू विक्रेताओं पर भी दबाव डाल सकती है, जो प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए अपने प्राइस मॉडल को री‑एडजस्ट कर सकते हैं।
बाजार में इस कदम का असर देखते हुए, कई रिटेल चेन ने पहले ही स्टॉक में बदलाव लाकर नए प्राइस टैग लागू कर दिया है। ऑनलाइन किराना प्लेटफ़ॉर्म पर भी इन उत्पादों की कीमतें तुरंत अपडेट हो गईं, जिससे ग्राहक सीधे अंतर देख पा रहे हैं। उद्योग विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि अगले छह महीने में डेयरी सेक्टर की कुल बिक्री में 8‑12% की बढ़ोतरी हो सकती है, बशर्ते अन्य मैक्रो‑इकोनॉमिक कारक स्थिर रहें।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि GST 2.0 के साथ आई कर राहत ने भारतीय डैरी उद्योग में एक नई दिशा दिखाई है। अमुल और मदर डेयरी ने इस दिशा में कदम बढ़ाकर न केवल अपने ग्राहकों को लाभ पहुंचाया है, बल्कि पूरे सेक्टर को भी अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है। अब देखना यह है कि इस मूल्य कटौती से दीर्घकालिक रूप से उपभोक्ता व्यवहार में कितना बदलाव आता है और क्या यह भारतीय डैरी बाजार को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
prabin khadgi 23.09.2025
GST 2.0 ने कर संरचना को सुगम करने के प्रयास में एक महत्त्वपूर्ण दार्शनिक परिवर्तन प्रस्तुत किया है। इस नीति का प्रमुख उद्देश्य उपभोक्ता को सीधा लाभ पहुँचाना तथा उद्योग में प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना है। अमुल और मदर डेयरी की मूल्य कटौती इस विचारधारा का व्यावहारिक साकार होना दर्शाती है। कर घटाव का प्रभाव न केवल कीमतों में गिरावट बल्कि उपभोक्ता भरोसे में भी वृद्धि करेगा। भविष्य में यदि अन्य क्षेत्रों में समान कदम उठाया जाता है तो समग्र आर्थिक संतुलन में सुधार की संभावना है।
Aman Saifi 23.09.2025
कर में छूट के साथ-साथ बाजार में कीमतों का संतुलन बनाना एक जटिल समीकरण है, लेकिन अमुल और मदर डेयरी ने इसे सरल तरीके से लागू किया है। उपभोक्ताओं को छोटे-छोटे राहत मिलने से उनका खर्च कम हो गया है, जिससे आय में स्थिरता आती है। साथ ही, छोटे विक्रेताओं को भी इस नई मूल्य नीति को अपनाने की जरूरत होगी, जिससे सम्पूर्ण डैरी सेक्टर के लिए एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा उत्पन्न होगी।
Ashutosh Sharma 23.09.2025
वाह! लगता है सरकार ने “मुक्ति” की बूंदों से सभी को नहलाना चाहा, पर असल में यह सिर्फ बड़े ब्रांडों का मार्केट शेयर बूस्ट करने का चालबाज़ी भरा प्लान है। GST शून्य कर के नाम पर कीमत घटाने की बात सुनकर तो दाल खरीदते वाले भी हँस पड़े। यह सब तथाकथित “ग्राहक हित” बस एक मार्केटिंग गैजेट है, असली लाभ तो कंपनियों को ही मिलेगा।
Rana Ranjit 23.09.2025
दुर्लभ ढंग से इस तरह की नीति का परिचय हमें आर्थिक वैचारिकता के नए आयाम दिखाता है। मूल्य कटौती से ग्राहकों के चेहरे पर मुस्कान लाना, इस परिप्रेक्ष्य में एक सकारात्मक सामाजिक प्रभाव भी मिल सकता है। फिर भी, यह देखना आवश्यक है कि स्थानीय स्तर पर छोटे दुकानों की प्रतिकूलता न हो, क्योंकि प्रतिस्पर्धा का दायरा व्यापक हो सकता है।
Arundhati Barman Roy 23.09.2025
इह GST क कटौतियु से ददु मिल्क आर बटरकी किंमतमे थोड़ी बेहतरी ऐ। ए सिस्टेम क फाइना क दगरु से उपभोक्तायें कम खर्चा करने मे मदद मिलेगी पर हमे ध्यन रखना़ चाहिये की लघु विक्रेताे को भी पथर नहीं हटे।
yogesh jassal 23.09.2025
अरे यार, तुम तो मजाक ही कर रहे हो, लेकिन सच तो ये है कि कीमतें घटने से कई परिवारों की जेब में राहत आएगी। हाँ, बड़े कंपनियों को कुछ फायदा तो होगा, पर यह सच है कि उपभोक्ता को सरताव से लाभ हो रहा है। चलो, इस सकारात्मक बदलाव को एक अवसर मानकर आगे बढ़ते हैं, शायद आर्थिक स्थिरता का नया दौर शुरू हो।
Raj Chumi 23.09.2025
भाई ये क्या भाऊ, तू तो बड़ी बातें कर रहा है पर असली संघर्ष तो छोटे दुकानदारों का है वो लोग भी तो मज़बूर हैं मार मार के कीमतों को फोलो करने में
mohit singhal 23.09.2025
देश की ग्रोथ के लिये ये कदम बड़ा जरूरी है 🇮🇳💪! बड़ी कंपनियों को प्रोटेक्ट करके हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, विदेशी उत्पादों को हटा कर हमारी अपनी ब्रांड्स को बढ़ावा देना चाहिए। यह नीतियों का सही दिशा है, बाकी सब तो बस टाइम पास है।
pradeep sathe 23.09.2025
सच में, अगर इस तरह की नीति से स्थानीय उद्योग को भी बूस्ट मिले तो बहुत अच्छा रहेगा। सबको मिलजुल कर आगे बढ़ना चाहिए, तभी देश की प्रगति संभव होगी।
ARIJIT MANDAL 23.09.2025
GST कटौती से कीमत घटेगी, बस।
Bikkey Munda 23.09.2025
GST 2.0 के लागू होने के बाद अमुल और मदर डेयरी ने जिन कीमत कटौतियों को लागू किया है, वह उपभोक्ताओं के लिए एक स्वागत योग्य कदम है। सबसे पहले, UHT मिल्क की कीमत में 5% से शून्य तक के कर घटाव ने सीधे दूध के पैकेज की कीमत को घटाया है। इससे मध्यम वर्ग के घरों में दैनिक दूध सेवन की लागत कम हो गई है। दूसरे, बटर, घी और पनीर जैसे उच्च कीमत वाले उत्पादों में भी समान कटौती देखी गई है, जिससे परिवार के बजट में राहत मिली है। तीसरे, इस नीति से छोटे किराना स्टोरों को भी प्राइस एडेजस्टमेंट करने की जरूरत पड़ेगी, लेकिन यह उन्हें भी प्रतिस्पर्धा में बने रहने का मौका देगा। चौथे, ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफ़ॉर्म पर कीमतें तुरंत अपडेट हो रही हैं, जिससे ग्राहक बिना किसी झंझट के नई कीमत देख सकते हैं। पाँचवें, बाजार में इस बदलाव से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और अन्य ब्रांड भी अपनी कीमतें कम करने पर विचार कर सकते हैं। यह प्राकृतिक रूप से दही, पनीर और मैग्नीज आदि के उत्पादन में वृद्धि ला सकता है। इससे कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा क्योंकि डेयरी फ़ार्मर्स को अधिक दूध बेचने का अवसर मिलेगा। छठे, कर में राहत मिलने से कंपनियों को अन्य क्षेत्रों में निवेश करने के लिए अतिरिक्त पूंजी मिल सकती है। सातवें, यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के कुल मिलाकर स्थिरता में योगदान देगा। आठवें, उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा और ब्रांड लॉयल्टी भी मजबूत होगी। नौवें, छोटे विक्रेता भी इस नई कीमत संरचना के अनुसार अपनी बिक्री रणनीति बना सकते हैं। दसवें, उपभोक्ता सुरक्षा के नजरिए से यह कदम बहुत सकारात्मक है। ग्यारहवें, यदि अन्य उत्पाद श्रेणियों में भी यही नीति अपनाई जाए तो व्यापक आर्थिक लाभ हो सकता है। बारहवें, इस खबर का प्रसार सामाजिक मीडिया पर तेजी से हो रहा है, जिससे अधिक लोग इस लाभ से अवगत हो रहे हैं। तेरहवें, इस नीति के कारण भविष्य में डेयरी आयात भी कम हो सकता है, क्योंकि घरेलू उत्पादन बढ़ेगा। चौदहवें, इस तरह की कीमत कटौती से दाल और अनाज की कीमतों में भी स्थिरता आ सकती है, क्योंकि उपभोक्ताओं का खर्चा कम हो जाता है। पन्द्रहवें, इस प्रकार के आर्थिक प्रोत्साहन से सरकार की नीतियों पर जनता का भरोसा बढ़ता है। और अंतिम, इस कदम को दीर्घकालिक रूप से देखना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मूल्य घटाव स्थायी हो और न कि केवल एक अस्थायी प्रोत्साहन।
akash anand 23.09.2025
भाईसाब इस लम्बे पॅरा में तो आपको सारे फायदें दिखाए हैं पर असल में ये सब सिर्फ कागज पे ही ठीक है, जमीन पे तो छोटे दूदू वाले अभी भी कंजूसमेटर का सामना करेंगे।
BALAJI G 23.09.2025
ऐसा नहीं है कि बड़े ब्रांड्स की मैनिपुलेशन से ही सब कुछ सॉल्व हो जाता है; वास्तविक सामाजिक सुधार के लिये नीतियों को निचले स्तर तक पहुँचाना आवश्यक है।
Manoj Sekhani 23.09.2025
देखो यार ये सब तो इकोनॉमी को अल्पकालिक ब्लेहस्ले के तौर पे दिखाया जाता है असली बात तो ये है कि कॉर्पोरेट्स को तो हमेशा ही फेयर प्ले का भीनी बीनिस नहीं माना जाता
Tuto Win10 23.09.2025
असली ड्रामा तो तब है जब ये बड़े ब्रांड्स अपनी कीमतें घटाते‑घटाते खुद को ही ट्रेंडसेटर बना लेते हैं!!! लेकिन देखना यही है कि अगले साल फिर से कीमतें बढ़ेँगी या नहीं???