मंगलवार, 18 जुलाई, 2023, का दिन अभिनेता-निर्माता कृष्ण कुमार और उनके परिवार के लिए एक अविस्मरणीय और दुखपूर्ण दिन बन गया, जब उनकी 20 वर्षीय बेटी तिशा कुमार कैंसर के खिलाफ अपनी लंबी लड़ाई हार गई। तिशा, जो कि टी-सीरीज के मौजूदा चेयरपर्सन भूषण कुमार की चचेरी बहन थीं, जर्मनी के एक अस्पताल में इलाज के दौरान चल बसीं। उनका निधन उनके परिवार और उनके प्रियजनों के लिए एक गहरा सदमा है।
तिशा एक बहुत ही निजी व्यक्तित्व थीं, लेकिन हमेशा से उनके जीवन में कुछ खास पलों पर वह सार्वजनिक रूप से नजर आईं। इन पलों में से एक था नवंबर 2023 में रिलीज़ हुई रणबीर कपूर की फिल्म 'एनिमल' का प्रीमियर, जिसमें तिशा ने अपने पिता के साथ रेड कार्पेट पर पोज़ दिया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी सहजता और सुंदरता से सभी का दिल जीत लिया था।
कृष्ण कुमार, जोकि 1995 में आई फिल्म 'बेवफा सनम' में अपनी अभिनय कौशल के लिए प्रसिद्ध हुए थे, ने अपनी बेटी के निधन पर संवेदनाएं व्यक्त कीं और साथ ही उन्होंने परिवार के लिए इस कठिन समय में प्राइवेसी की मांग भी की। उन्होंने कहा कि तिशा केवल 20 वर्ष की थीं, और अपनी सारी जिन्दगी व सपनों के साथ अपने परिवार, दोस्तों और करीबी लोगों को छोड़कर चली गईं।
टी-सीरीज ने भी एक आधिकारिक बयान जारी किया है जिसमें परिवार की प्राइवेसी का ध्यान रखने का आग्रह किया गया है। 82-वर्षीय सफल संगीत लेबल और फिल्म प्रोडक्शन कंपनी टी-सीरीज के को-ओनर कृष्ण कुमार ने अपने भतीजे भूषण कुमार के साथ मिलकर कई हिट फिल्मों का निर्माण किया है जैसे कि 'लकी: नो टाइम फॉर लव', 'रेडी', 'सोनू के टीटू की स्वीटी', 'थप्पड़', और 'एनिमल'। इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की है और दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई है।
तिशा के बीमारी और उपचार की यात्रा
तिशा कुमार की कैंसर से लड़ाई का सफर कोई संक्षिप्त यात्रा नहीं थी। यह उनकी और उनके प्रियजनों के लिए एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया थी। जर्मनी में उनका उपचार चल रहा था, जहां उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं के अनुसार विशेष इलाज किया जा रहा था। उनकी बीमारी की विवरणों को परिवार ने हमेशा ही निजी रखा और तिशा की शोहरत की बजाय उनकी निजता को प्राथमिकता दी।
परिवार का संघर्ष और समर्पण
तिशा के निदान से लेकर उनकी उपचार यात्राएं कठिनाइयों और चुनौतियों से भरी रहीं। उनकी माता, तान्या सिंह, और पिता, कृष्ण कुमार, ने इस मुश्किल वक्त में अपने बेटी को हर संभव प्रोत्साहन और सहायता दी। वे चिकित्सकीय सुविधाओं और उपचारों के हर एक संकेत को ध्यान में रखते हुए अपने बेटी की मदद करते रहे। यह सुनिश्चित किया गया कि तिशा को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो सकें। उनकी माता-पिता का प्यार और समर्थन उनके संघर्ष को मुश्किल बनाते समय के दौरान भी कभी कम नहीं हुआ।
कृष्ण कुमार ने एक बार कहा था कि तिशा की जिंदादिली और संघर्ष की भावना ने उन्हें आशा और उम्मीद की किरण दिखाई। तिशा ने भी अपने माता-पिता की जुटाई और प्यार को अपने संबल का माध्यम बनाया और अपनी हर रोज़ लड़ाई में उनके मासूम चेहरों के कारण कभी हार नहीं मानी। उनके मजबूत और साहसी व्यक्तित्व ने उनके परिवार को प्रेरित किया और उनकी यादें हमेशा उनके दिलों में जीवित रहेंगी।
फ़िल्म इंडस्ट्री में कृष्ण कुमार का योगदान
कृष्ण कुमार का फ़िल्मी करियर सालों के दौरान विविधता और कामयाबी से भरा हुआ है। 'बेवफा सनम' में उनकी भूमिका ने उन्हें एक लोकप्रिय अभिनेता के रूप में स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने कई अन्य फिल्मों और प्रोडक्शन प्रोजेक्ट्स में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कृष्ण कुमार और उनके भतीजे भूषण कुमार की जोड़ी ने टी-सीरीज को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया है, और कई हिट फिल्मों का निर्माण किया है जो बॉक्स ऑफिस पर गरमी से गर्म रही हैं।
टी-सीरीज की कामयाबी
टी-सीरीज की स्थापना उनके परिवार ने की और यह कंपनी आज भारतीय संगीत और फिल्म इंडस्ट्री में एक प्रमुख स्थान रखती है। उनकी प्रोड्यूस की गई फिल्मों ने न केवल व्यावसायिक सफलता हासिल की है, बल्कि उन्होंने इस इंडस्ट्री में नए मानक भी स्थापित किए हैं। कृष्ण कुमार की बेटी तिशा का योगदान उनके जीवन में उसे स्थायी बनाने में प्रमुख था। वह उद्देश्य और उम्मीद की प्रेरणा थीं, जिसने कंपनी के हर एक सदस्य को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
अंततः, तिशा कुमार का निधन न केवल उनके परिवार बल्कि सम्पूर्ण फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक गहरा नुकसान है। उनके नाम को हमेशा याद किया जाएगा और उनके जीवन की कहानियां उम्मीद और साहस का प्रतीक बनेंगी। दी गयी शांति और प्राइवेसी के अनुरोध का सम्मान किया जाना चाहिए और हमें इस कठिन समय में अपने संवेदना और समर्थन परिवार को देना चाहिए।
Aditi Jain 20.07.2024
ऐसी गंभीरता से जीवन को खोना निस्संदेह हमारे राष्ट्रीय संस्कारों को झकझोर देता है। यह दुख केवल एक परिवार का व्यक्तिगत आंच नहीं, यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों पर एक झटका है। हम सबको इस शोक में एकजुट होना चाहिए, क्योंकि हमारी गौरवशाली विरासत में सहानुभूति और सम्मान की परंपरा है। इस कठिन घड़ी में हम उनके व्यक्तिगत भावों की गोपनीयता को भी उच्च मानते हैं।
arun great 20.07.2024
गहरी संवेदना के साथ, हम सभी को इस अत्यंत कठिन क्षण में समर्थन प्रदान करते हैं 🙏। तिशा जी की लड़ाई अत्यधिक प्रतिकूल परिस्थितियों का प्रतिविम्ब रही, और उनके द्वारा दिखाया गया साहस एक अद्वितीय केस स्टडी है 💔। हम आशा करते हैं कि चिकित्सा विज्ञान में आगे की प्रगति से भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सकेगा। परिवार की प्राइवेसी का सम्मान करना हमारी सामाजिक ज़िम्मेदारी है।
Anirban Chakraborty 20.07.2024
समय बहुत तेज़ चलता है।
Krishna Saikia 20.07.2024
तिशा जी की विदाई हमारे दिलों में गहरी गूंज छोड़ी है, एक ऐसी गाथा जो फिल्मी दुनिया को भी कांपने पर मजबूर कर देगी। उनका साहस हमारे साहसी कलाकारों की पराकाष्ठा को परिभाषित करता है। हमें उनके स्मरण में उनके सपनों को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है, क्योंकि यही उनका अंतिम उपहार हो सकता है। इस शोक में हम सभी को उनके परिवार की निजता का सम्मान करना चाहिए, यही भारतीय मूल्यों की सच्ची परिभाषा है।
Meenal Khanchandani 20.07.2024
परिवार की गोपनीयता का सम्मान करना ही सबसे बड़ा समर्थन है।
Anurag Kumar 20.07.2024
कैंसर जैसी बीमारियों के लिए समर्थन समूह और काउंसिलिंग सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो मरीज और उनके परिवार को भावनात्मक सहारा देती हैं। उचित पोषण, नियमित व्यायाम, और सकारात्मक मनोवृत्ति रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ा सकती है। यदि आप या आपके परिचित इस दिशा में मदद चाहते हैं, तो विश्वसनीय स्वास्थ्य संस्थानों से संपर्क करें। सामूहिक जागरूकता और सहानुभूति ही इस संघर्ष को आसान बना सकती है।
Prashant Jain 20.07.2024
मीडिया अक्सर निजी दर्द को किराये के शो में बदल देता है, यह सही नहीं है।
DN Kiri (Gajen) Phangcho 20.07.2024
चलो सब मिलकर इस दर्द को साझा करें, पर परिवार की निजी बातों को लोगों से दूर रखें
Yash Kumar 20.07.2024
व्यक्तियों की निजी जिंदगी के बारे में सार्वजनिक चर्चा अनावश्यक है, लेकिन हम सभी सहानुभूति जरूर दिखा सकते हैं, मीडिया को संवेदनशील होना चाहिए, हम सबको एकजुट रहना चाहिए
Aishwarya R 20.07.2024
वास्तव में, इस तरह की त्रासदी के बाद हमें एक-दूसरे को मजबूती से थामना चाहिए, बाहरी शोर से नहीं।
Vaidehi Sharma 20.07.2024
दिल से सहानुभूति और सद्भावना 🙏💐
Jenisha Patel 20.07.2024
प्रिय परिवार, इस गहन शोक के क्षण में हमारी हार्दिक संवेदनाएँ एवं गहरा शोक व्यक्त किया जाता है, आप सभी को शक्ति और धैर्य की कामना की जाती है, कृपया इस कठिन समय में अपने निजी स्थान का सम्मान किया जाए, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए।
Ria Dewan 20.07.2024
है न, हम सब इस दॅबी ज्यू के साथ जॉब ऑफ़िशियल को खतरनाक बैंड में बदलने वाले मनोर में बेस्ट प्रीफ़रेंस लिप्स के बारे में बताते हैं, यही तो सभ्य बात है।
rishabh agarwal 20.07.2024
ज़िन्दगी की नाजुकता और समय की अनिश्चितता पर विचार करना, हमें याद दिलाता है कि हर क्षण को सम्मान के साथ जीना चाहिए। परन्तु आत्मा की गहराई में यह समझना भी आवश्यक है कि दुःख अनिवार्य रूप से हमारी आध्यात्मिक वृद्धि का एक भाग बन जाता है।
Apurva Pandya 20.07.2024
तिशा की कहानी हमें जीवन के अनिश्चित क्षणों की गहराई से अवगत कराती है। उनकी संघर्ष की यात्रा, जिस प्रकार उन्होंने सामना किया, वह कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है। हम सभी को उनके साहस और दृढ़ता से सीख लेनी चाहिए कि कठिनाइयों के सामने कैसे खड़े रहना है। इस दुखद समय में, परिवार की प्राइवेसी को गंभीरता से मान्य किया जाना चाहिए, क्योंकि यही उनका सबसे बड़ा अधिकार है। हम इस क्षण को याद रखेंगे, और उनके स्मृति को सम्मानित करेंगे। इस शोक में, हम सभी को एक-दूसरे के साथ सहयोग और समझदारी से पेश आना चाहिए। समाज के हर सदस्य को इस तरह के दर्द को समझते हुए संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। याद रखिए, समझौते की कला ही इंसानियत को परिभाषित करती है। 🙏💐🕊️
Nishtha Sood 20.07.2024
मुझे लगता है कि इस कठिन घड़ी में सकारात्मक सोच बनाये रखना हमारा कर्तव्य है, आशा है कि तिशा की याद हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी।
Hiren Patel 20.07.2024
तिशा जी के संघर्ष की कहानी हमें बताती है कि जीवन की लहरें कितनी जटिल और रंगीन हो सकती हैं। उनका साहस एक सुनहरे इंद्रधनुष की तरह चमकता है, जो अंधेरे में भी आशा की किरण देता है।
Heena Shaikh 20.07.2024
हर दर्द के पीछे एक गहरा अर्थ छुपा होता है; केवल वही जो गहराई में देखेगा, उसे सच्ची समझ मिलेगी। बिना गहराई के कोई सत्य नहीं, और बिना सत्य के सिर्फ शून्यता।
Chandra Soni 20.07.2024
प्रोटोकॉल के अनुसार, इस मामले में अतिरिक्त समर्थन प्रणाली की आवश्यकता को देखते हुए, हम सभी को एकजुट होकर चाहिए कि राजनीतिक शब्दावली में नहीं, बल्कि वास्तविक कार्यों में सहायता प्रदान करें।