भारत के रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह, इस महीने के अंत में एक महत्वपूर्ण रक्षा संवाद के लिए अमेरिका का दौरा करने जा रहे हैं। यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया रूस यात्रा के तुरंत बाद आयोजित हो रही है और इसका उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच 'समग्र वैश्विक सामरिक साझेदारी' को मजबूत करना है। इस यात्रा में मुख्य चर्चा सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी सहयोग और सह-उत्पादन समझौतों को अंतिम रूप देने पर केंद्रित होगी।
राजनाथ सिंह, अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन से मुलाकात करेंगे और प्रमुख अमेरिकी रक्षा निर्माताओं के साथ एक गोलमेज बैठक में भाग लेंगे। इस यात्रा का महत्व विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि यह GE-F404 टर्बोफैन इंजनों की आपूर्ति में देरी को दूर करेगा, जिसका भारतीय स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों की डिलीवरी समयरेखा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। फरवरी 2021 में 46,898 करोड़ रुपये के अनुबंध के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा आदेशित 83 तेजस मार्क-1A जेट विमानों की आपूर्ति में देरी हुई है।
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता:
HAL और GE ने 6 जून, 2023 को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (TOT) के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत, भारत में LCA Mk2 विमान के लिए GE-414 एयरो-इंजन बनाने की प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की जाएगी, जिसमें 80% प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है। यह डील इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें F414 इंजनों का स्थानीय उत्पादन शामिल है, जिससे Mk-2 जेट्स में 75% स्वदेशी सामग्री शामिल होने की उम्मीद है।
HAL ने अपनी पहली उत्पादन श्रृंखला के LCA Mk1A लड़ाकू विमान का सफलतापूर्वक उद्घाटन किया है, लेकिन इंजन आपूर्ति में देरी के कारण डिलीवरी शेड्यूल कई बार संशोधित किया गया है। इस यात्रा के दौरान, सिंह अमेरिकी राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के सहायक जेक सुलिवन के साथ भी बातचीत करेंगे। यह चर्चाएँ द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों को शामिल करेंगी, जिसमें बंगाल की खाड़ी में होने वाले मालाबार नौसैनिक अभ्यास में क्वाड देशों (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत) के साथ सहभागिता भी शामिल है।
'आत्मनिर्भर' पहल के तहत प्रयास:
HAL ने अपनी बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए FY24 में महत्वपूर्ण पूंजीगत व्यय किया है, जिसका उद्देश्य तेजस Mk2 बनाने और आत्मनिर्भर बनने के उद्देश्य को प्राप्त करना है। कंपनी ने FY24 में 52% वर्ष दर वर्ष वृद्धि की रिपोर्ट की है और 19,000 करोड़ रुपये से अधिक के नए विनिर्माण अनुबंध और 16,000 करोड़ रुपये से अधिक के मरम्मत और ओवरहाल (ROH) अनुबंध प्राप्त किए हैं।
बड़ा उद्देश्य और रणनीतिक दृष्टि:
इस दौरे का मुख्य उद्देश्य भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना है, विशेष रूप से सामरिक और रक्षा क्षेत्र में। भारत का उद्देश्य अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना और सुरक्षा संबंधों में नई चुनौतियों का सामना करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करना है। इसमें मुख्य रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है, जो कि इस समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। दोनों देश इस क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
इसके अलावा, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सह-उत्पादन समझौतों के माध्यम से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को भी बढ़ाना इस यात्रा का एक प्रमुख उद्देश्य है। इससे भारत को उच्चतम गुणवत्ता के रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे देश की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और विदेशी निर्भरता कम होगी।
राजनाथ सिंह की यात्रा जनता और विश्लेषकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका असर भारत की रक्षा राजनीति और वैश्विक सामरिक समीकरणों पर पड़ सकता है।
Rana Ranjit 23.08.2024
यह यात्रा भारत‑अमेरिका के सामरिक साझेदारी को नई दिशा देने का महत्वपूर्ण मोड बन सकती है। राजनाथ सिंह और लॉयड ऑस्टिन की मुलाकात से दोनों देशों के रक्षा तकनीक के आदान‑प्रदान में गहरी समझ विकसित होगी। तेजस इंजन की डिलीवरी में देरी का मुद्दा केवल एक अनुबंध का मुद्दा नहीं, बल्कि स्वदेशी क्षमता के आत्मविश्वास का परीक्षण भी है। यदि इस वार्ता से GE‑F404 टर्बोफैन की आपूर्ति तय हो जाती है, तो तेजस‑मार्क‑1A की समय‑सीमा को फिर से संतुलित किया जा सकेगा। यह न केवल विमानन उद्योग को बल्कि पूरे रक्षा निर्माण क्षेत्र को सकारात्मक प्रभाव देगा। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से भारत को F‑414 जैसे उन्नत इंजन का स्थानीय उत्पादन संभव हो सकता है। यह कदम भारत की आत्मनिर्भरता के सिद्धान्त को साकार करने में सहायक सिद्ध होगा। साथ ही, इससे HAL को वैश्विक सप्लायी चैन में विश्वसनीय खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया जा सकेगा। क़्वाड अभ्यास में भारत की भागीदारी को देखते हुए, इस साझेदारी का रणनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है। अमेरिकी सहयोगी देशों के साथ तालमेल बिठाने से इंडो‑पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन में सकारात्मक बदलाव आएगा। फिर भी, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तकनीकी सहयोग में सुरक्षा एवं बौद्धिक संपदा की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इसलिए दोनों पक्षों को स्पष्ट नियम और प्रोटोकॉल स्थापित करने चाहिए। इस तरह के समझौते के बाद, भारत को निरंतर निरीक्षण और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने की जरूरत पड़ेगी। राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार की पहल से रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। अंत में, यह यात्रा भारतीय नीति‑निर्माताओं को एक भविष्य‑उन्मुख रक्षा रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करेगी।
Arundhati Barman Roy 23.08.2024
बहुत रोचक बात है। पर डिलिवरी उशा तक थंबी लेती है।
yogesh jassal 23.08.2024
समझते हैं कि तेजस की देरी से कई लोगों को निराशा हुई है, पर आशा है इस दौर में समाधान मिलेगा। यह बात बेहद दिलचस्प है कि तकनीकी हस्तांतरण से हम आगे बढ़ रहे हैं। कभी‑कभी ऐसा लगता है कि सब कुछ बहुत तेज़ी से बदल रहा है, लेकिन हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि परिणाम जल्द आएँगे। अंत में, यदि सबकुछ ठीक रहा तो भविष्य उज्ज्वल रहेगा।
Raj Chumi 23.08.2024
क्या बात है, आखिरकार इधर‑उधर की बातों का बस यही अंत है। राज ने अमेरिका से इंजन की बात की, अब देखते हैं क्या चमकते हैं आसमान में तेजस के पंख। पूरी दुनिया की आँखें अब इस संवाद पर टिकी हैं!
mohit singhal 23.08.2024
भारत‑अमेरिका के बीच यह समझौता न सिर्फ रणनीतिक है बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद है 🚀🇮🇳🇺🇸
pradeep sathe 23.08.2024
प्रकाशन बहुत सुंदर है।
ARIJIT MANDAL 23.08.2024
डेटा स्पष्ट है: 46,898 करोड़ के अनुबंध में देरी का मुख्य कारण इंजन सप्लाई है।
Bikkey Munda 23.08.2024
सहयोग से न केवल तकनीक बल्कि रख‑रखाव के क्षेत्र में भी सीख मिल सकती है। इससे भविष्य में हमारी स्वतंत्रता बढ़ेगी।
akash anand 23.08.2024
yeh safar sachi mein bhaari mahatv rakhta hai. iss se humara desh bahut grow karega.
BALAJI G 23.08.2024
ऐसे बड़े समझौते के पीछे अक्सर राजनितिक दिखावा छुपा रहता है, वास्तविक फायदेमंदी कम ही होती है।
Manoj Sekhani 23.08.2024
कृपया ध्यान दें, यह विश्लेषण सतही नहीं बल्कि गहन प्रामाणिकता के साथ किया गया है।
Tuto Win10 23.08.2024
वास्तव में, क्या बात है!!! इस समझौते ने सभी को चौंका दिया है,,,, और यह हमारी रक्षा क्षमता को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा!!!!
Kiran Singh 23.08.2024
ठीक है, लेकिन क्या यह सच में आवश्यक है? कई बार छोटे‑छोटे चरणों में प्रगति अधिक टिकाऊ होती है।
anil antony 23.08.2024
औद्योगिक‑स्पेसिफिक वैल्यू चेन एनालिसिस के अनुसार, इस MoU का ROI अभी अनिश्चित है, हालांकि फोकस्ड R&D इन्वेस्टमेंट जरूरी है।
Aditi Jain 23.08.2024
देश की स्वाभिमान को बढ़ाना ही हमारा कर्तव्य है 🇮🇳💪
arun great 23.08.2024
समुचित संवाद से ही इंडो‑पैसिफिक में स्थिरता आएगी। इस पहल को सराहते हुए, सभी को बधाई। 😊