सेंथिल बालाजी की जमानत: सीमैन ने उठाए सवाल
नाम तमिलर काची (एनटीके) के प्रमुख नेता सीमैन ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को मिली जमानत को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। सीमैन ने जिलाधिकारी एमके स्टालिन द्वारा सेंथिल बालाजी की जमानत को बलिदान बताने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह वही डीएमके के कार्यकाल में संभव हुआ था जिस दौरान उन्हें जेल भेजने की कार्रवाई की गई थी।
क्या जमानत बलिदान है?
सीमैन ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि सेंथिल बालाजी को कानूनी समस्याएं एआईएडीएमके के शासन के दौरान ही शुरू हुई थीं, पर उनकी गिरफ्तारी के लिए डीएमके सरकार ने भी अपनी भूमिका निभाई थी। इसलिए, अब जब उन्हें जमानत मिल गई है, इसे बलिदान के रूप में पेश करना एक राजनीतिक चाल है।
तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति पर आलोचना
सीमैन ने तमिलनाडु की राजनीतिक संस्कृति पर भी सवाल उठाए और कहा कि यहां हर छोटी-मोटी बात को लेकर बड़ी-बड़ी चर्चाएं हो जाती हैं। किसी भी मामूली घटना, चाहे वह लड्डू हो या जमानत, सब कुछ सेंसेशनल बन जाता है। उन्होंने कहा कि असल मुद्दों पर केंद्रित रहने की जरूरत है न कि अनावश्यक हाइप पैदा करने की।
सेंथिल बालाजी का मामला
सेंथिल बालाजी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दी गई है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और संविदा घोटाले से जुड़े मामले दर्ज थे। यह मामले 2011 से 2016 के बीच उनकी परिवहन मंत्री के रूप में सेवा के दौरान के हैं।
गौरतलब है कि सेंथिल बालाजी डीएमके के विधायक हैं और उनकी जमानत पर राजनीतिक महत्ता दी जा रही है। सीमैन ने स्पष्ट किया कि जोर देने की बात यह होनी चाहिए कि असल मुद्दों पर ध्यान दिया जाए और जनता के हित में काम किया जाए, न कि राजनीतिक प्रचार का हिस्सा बनाया जाए।
परिणामस्वरूप, यह मामला राजनीति के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण बन चुका है और सीमैन के इस बयान ने और भी सवाल उठाए हैं।
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