पर्यावरणीय बहु‑आयामी कार्यकर्ता सोनम वांगचक ने 24 सितंबर 2025 को अपना 15‑दिन का हंगर स्ट्राइक तुरंत समाप्त कर दिया। यह कदम लेह में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद है, जहाँ चार लोगों की मौत और 60 से अधिक लोगों के गंभीर चोटिल होने की खबरें आईं।
हिंसा की पृष्ठभूमि और घटनाक्रम
वांगचक ने 10 सितंबर 2025 को अनिश्चितकालिक हंगर स्ट्राइक शुरू किया था, जिसका मुख्य लक्ष्य लद्दाख को राज्य बनाना और संविधान के छठे क्रमांक (Sixth Schedule) में उसे शामिल करना था। उनका दावा था कि इससे स्थानीय जनजातियों को अधिक स्वायत्तता और संवैधानिक सुरक्षा मिलेगी। स्ट्राइक के दौरान सभा स्थल पर बड़ी संख्या में समर्थक इकट्ठा हुए, परन्तु दोपहर में भीड़ ने प्रदर्शन स्थल छोड़ते ही भाजपा कार्यालय, मुख्य कार्यकारी मंत्री (CEC) के कार्यालय और अन्य सरकारी इमारतों पर हमला कर दिया।
उग्र समूह ने कार्यालयों को आग से जला दिया, कई कारों को जलाकर खारिज किया और पुलिस एवं CRPF के 30 से अधिक जवानों को भी घायल कर दिया। इस क्रम में चार नागरिक मारे गये और कई और गंभीर रूप से घायल हुए। पुलिस ने जलती हुई गैस (तेरगोआ) और लाठी चार्ज का प्रयोग करके भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, परन्तु स्थिति कई घंटों तक तनावपूर्ण बनी रही।
सरकारी प्रतिक्रिया और भविष्य की राह
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने इस हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए वांगचक को "उत्तेजना" का कारण बताया। मंत्रालय ने कहा कि कुछ "राजनीतिक रूप से प्रेरित" लोग, जो हाई पावर कमेटी (HPC) के साथ हुई प्रगति से खुश नहीं थे, ही इस विद्रोह के पीछे हैं। वहीं, सरकार ने यह भी उजागर किया कि वे स्थानीय संगठनों – एपेक्स बॉडी लेह और कारगल डेमोक्रेटिक अलायंस – के साथ निरंतर संवाद में लगे हुए हैं।
संघ ने हाई पावर कमेटी के तहत कई सकारात्मक कदमों का उल्लेख किया, जैसे शेड्यूल्ड ट्राइब रेज़र्वेशन को 45 % से बढ़ाकर 84 % करना, महिलाओं के लिए एक‑तिहाई आरक्षित सीटें तय करना और भोटि एवं पुरगी को आधिकारिक भाषाएँ मानना। इन उपलब्धियों के बावजूद, वांगचक की मुख्य माँगें – राज्यता और छठे क्रमांक का संवैधानिक दर्जा – अभी तक पूरी तरह से साकार नहीं हुईं।
हंगर स्ट्राइक ख़तम करने के बाद वांगचक ने सभी पक्षों से शांति और संवाद को प्राथमिकता देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, "हिंसा से केवल क़रारी और क़ुसूर ही बढ़ता है, जबकि हमारे लक्ष्य के लिए संवाद ही सबसे असरदार तरीका है।" उन्होंने समर्थन करने वालों को भी पुराने और उकसाने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर न फैलाने के लिए कहा।
भविष्य में क्या होगा, इस सवाल का उत्तर अभी स्पष्ट नहीं है। लद्दाख में चल रहे गठबंधन और सरकारी टीमों के बीच बातचीत जारी है, परन्तु दोनों पक्षों को अब तक की प्रगति को बनाए रखते हुए जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी। इस बीच, राज्यता की मांग और छठे क्रमांक की स्थिति पर राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा तेज़ी से बढ़ रही है।
Ladakh statehood को लेकर लम्बी अवधि तक चलने वाला संघर्ष अब एक नए मोड़ पर है; जहाँ दोनों पक्षों ने हिंसा को रोककर फिर से शांतिपूर्ण संवाद की राह अपनाने का इरादा जताया है।
Tuto Win10 24.09.2025
भाईयो और बहनो, सोनम वांगचक की हंगर स्ट्राइक का असली मकसद अब साफ़ दिख रहा है!!!
यह सिर्फ़ एक प्रोपोस्ट्रीशन नहीं, बल्कि लद्दाख को राज्य बनाने की बेताबी है!!!
जैसे ही वह 10 सितंबर को हंगर स्ट्राइक शुरू हुई, सड़कों पर जलन की लहर दौड़ गई!!!
लेकिन लोगों को डराने वाले हिंसक प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया!!!
भौंचक्कड़ सरकार ने गैस और लाठी चार्ज का इस्तेमाल किया, जिससे कई निर्दोष लोग घायल हो गए!!!
चार लोगों की मौत और साठ से अधिक घायलों का दर्द अभी भी गूँज रहा है!!!
केवल गुस्सा नहीं, सवाल उठता है कि क्या इस तरह के बल प्रयोग से बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होता!!!
वांगचक ने कहा कि संवाद ही समाधान है, पर फिर भी वह हंगर स्ट्राइक को बंद कर देती हैं, ऐसा क्यों???
हमें देखना होगा कि क्या यह कदम उनके वास्तविक इरादे को छुपाता है या फिर यह बस एक रणनीतिक कदम है!!!
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने हाई पावर कमेटी के तहत रिज़र्वेशन बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन राज्यता का सवाल अभी भी बना हुआ है!!!
क्या लद्दाख की अस्मिता और स्वायत्तता का सम्मान किया जाएगा या फिर यह सिर्फ़ शब्दों का खेल रहेगा???
लोकता को इस मुद्दे पर जागरूक होना चाहिए, नहीं तो भविष्य में और भी हिंसा की संभावना बढ़ सकती है!!!
भारी दावे और पेशी इंट्रिकेटेड पॉलिसी को समझने के लिए हमें बारीकी से देखना पड़ेगा!!!
आइए, हम सब मिलकर इस बहस को शांति और तर्कसंगतता के साथ आगे बढ़ाएं!!!
समाज के हर वर्ग को इस विवाद में अपना योगदान देना चाहिए, नहीं तो आवाज़ें सिर्फ़ हवा में घुल जाएंगी!!!
अंत में, एक ही बात स्पष्ट है: संवाद के बिना कोई भी समाधान नहीं हो सकता!!!
Kiran Singh 24.09.2025
मैं कहूँ तो ये सब सिर्फ़ बहाने हैं कि लोग उत्साहित हो रहे हैं। हंगर स्ट्राइक से कुछ नहीं बदलेगा।
anil antony 24.09.2025
यह मामला वैरिएबल कॉन्फ़्लिक्ट डायनेमिक्स को दर्शाता है, जहाँ स्ट्राइक और हिंसा के इंटरेक्शन को मॉडलिंग की ज़रूरत है। विस्तार से देखें तो हाई पावर कमेटी के प्रोटोकॉल में गैप्स हैं, जो फॉल्ट लाइन बनाते हैं।
Aditi Jain 24.09.2025
देश की एकता तो नहीं बिगड़नी चाहिए, लद्दाख का राज्य बनना किसी भी तरह से भारत को कमजोर नहीं करेगा। हमें विदेशी हस्तक्षेप से बचना है और अपना राष्ट्रीय हित प्राथमिक रखना चाहिए।
arun great 24.09.2025
मैं समझता हूँ कि दोनों पक्षों के पास वैध चिंताएँ हैं 😊। संवाद जारी रखना सबसे अच्छा रास्ता है, और सरकार को स्थानीय जनजातियों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।
Anirban Chakraborty 24.09.2025
भाई लोग, हिंसा कभी हल नहीं करती, सिर्फ़ नतीजे बिगाड़ती है। वांगचक को अब शांति से बात करनी चाहिए, नहीं तो सबको नुकसान ही होगा।
Krishna Saikia 24.09.2025
देखो! अगर लद्दाख को राज्य नहीं बनाया गया तो यह हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है!!! हमें तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, नहीं तो आगे और ज़्यादा दंगे हो सकते हैं!!!
Meenal Khanchandani 24.09.2025
हिंसा से कुछ नहीं मिलता, केवल दुख ही मिलता है। सभी को शांति से बात करनी चाहिए।
Anurag Kumar 24.09.2025
अगर आप लद्दाख की जनजातीय संरचना को समझना चाहें तो मैं कुछ रिसोर्स शेयर कर सकता हूँ; इससे स्टेटस की चर्चा और स्पष्ट होगी। साथ ही, सरकार के प्रस्तावित आरक्षण को भी पढ़ें।
Prashant Jain 24.09.2025
सच में, ये सब राजनीतिक खेल है, असली मुद्दा लद्दाख की अस्मिता है।
DN Kiri (Gajen) Phangcho 24.09.2025
हर विचार का सम्मान करना ज़रूरी है; हम सब मिलकर समाधान निकाल सकते हैं। जुड़े रहिए और सकारात्मक सोच रखें।
Yash Kumar 24.09.2025
मैं सोचता हूँ कि इस सब में मीडिया का बड़ा हाथ है; वे केवल दृश्यता के लिए हिंसा को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं। शायद अगर हम स्रोतों को ठीक से देखेंगे तो अलग तस्वीर मिल सकती है।
Aishwarya R 24.09.2025
सच तो ये है कि लद्दाख की स्थिति दहशत के दायरे में बदल सकती है यदि इसे तुरंत संबोधित नहीं किया गया।
Vaidehi Sharma 24.09.2025
बिल्कुल सही! 😄
Jenisha Patel 24.09.2025
अध्यक्ष महोदय; इस विवाद में सभी पक्षों को समान अवसर प्रदान करना आवश्यक है; इसलिए संवाद को प्राथमिकता देना चाहिए; आशा है कि भविष्य में शांतिपूर्ण समाधान निकलेगा।
Ria Dewan 24.09.2025
अरे वाह, फिर से एक और "राज्य" का सवाल, जैसे हर मसले का समाधान 'राज्य' बनाना ही हो। शायद हमें पहले सोचना चाहिए कि क्या हम वाकई में एक और प्रशासनिक इकाई चाहते हैं।