तुलसी विवाह 2025: 2 नवंबर या 5 नवंबर? विवादित मुहूर्त और रिवाजों का गहरा अध्ययन
तुलसी विवाह 2025 को 2 नवंबर या 5 नवंबर मनाया जाएगा? जेके योग और श्री राम मंदिर संगठन के बीच मुहूर्त विवाद। जानें पूजा विधि, कथा और सौराष्ट्र में इसकी विशेष परंपरा।
जब कोई नया बिल पारित होता है, या कोई नेता अपनी नई नौकरी शुरू करता है, तो अक्सर एक चीज़ बाहर आ जाती है — मुहूर्त, एक धार्मिक और ज्योतिषीय अवधारणा जो शुभ समय को निर्धारित करती है। ये न सिर्फ शादियों या घर के निर्माण के लिए होता है, बल्कि अब राजनीति के लिए भी एक ज़रूरी टूल बन गया है। राजनीति मुहूर्त, जिसमें चुनाव, शपथ ग्रहण या नीति घोषणा का समय ज्योतिषीय अनुसार तय किया जाता है ने आम लोगों के बीच भी बहस शुरू कर दी है। क्या ये सिर्फ रिवाज है, या फिर एक गहरा सामाजिक और राजनीतिक संदेश है?
इस विवाद के पीछे कई चीज़ें छिपी हैं। धार्मिक विवाद, जो अक्सर एक विश्वास को दूसरे विश्वास के साथ टकराता है अब सिर्फ मंदिर-मस्जिद के मुद्दे तक सीमित नहीं रहा। अब ये उस दिन के बारे में है जब किसी नेता ने अपना दफ्तर संभाला, या किसी दल ने अपनी रैली शुरू की। क्या ये वाकई शुभ है? या फिर ये सिर्फ चुनावी दिखावा है? भारतीय संस्कृति, जिसमें ज्योतिष और धर्म का गहरा संबंध है इस बात को समझने के लिए ज़रूरी है। लेकिन जब ये विश्वास राजनीति के हथियार बन जाते हैं, तो ये न्याय के बजाय भावनाओं को बाँटने का जरिया बन जाता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक राज्य के मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण का समय किसके हिसाब से तय होता है? क्या ये ज्योतिषीय नियम हैं, या फिर ये लोगों के विश्वास को बढ़ाने का तरीका? इस विवाद के बीच एक सवाल बन जाता है — क्या राजनीति को इतना धार्मिक बनाना ज़रूरी है? कुछ लोग कहते हैं कि ये लोगों के भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाता है। कुछ दूसरे कहते हैं कि ये विज्ञान और तर्क के खिलाफ है। ये सवाल आम आदमी के दिमाग में घूम रहे हैं।
यहाँ आपको ऐसे ही कई मामले मिलेंगे — जहाँ मुहूर्त का इस्तेमाल एक बड़े विवाद का हिस्सा बन गया। चुनाव के दिन, नए बिलों का लॉन्च, या फिर किसी नेता की शपथ ग्रहण की तारीख — हर एक में एक गहरा तनाव छिपा हुआ है। ये लेख आपको बताएंगे कि ये मुहूर्त विवाद कैसे भारत की राजनीति के दिल में घुस गए हैं, और ये क्यों अब एक सामाजिक आंदोलन की तरह लग रहा है।
तुलसी विवाह 2025 को 2 नवंबर या 5 नवंबर मनाया जाएगा? जेके योग और श्री राम मंदिर संगठन के बीच मुहूर्त विवाद। जानें पूजा विधि, कथा और सौराष्ट्र में इसकी विशेष परंपरा।