देश भर में तुलसी विवाह की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, लेकिन एक अजीब सी बात है — किस दिन मनाना है? जेके योग, जागरण और एस्ट्रोमंच कहते हैं कि यह रविवार, 2 नवंबर 2025 को होगा। वहीं, श्री राम मंदिर संगठन की वेबसाइट पर लिखा है कि यह 5 नवंबर 2025, बुधवार को होगा। दोनों तारीखें अपने-अपने तरीके से वैदिक गणना के आधार पर आती हैं। यह विवाद सिर्फ एक तारीख का नहीं, बल्कि हमारे धार्मिक अनुभव के गहरे आधार का है।
क्यों है यह अंतर? ज्योतिष और परंपरा का टकराव
यह अंतर तिथि के अंतिम समय के आधार पर आता है। जेके योग के अनुसार, दिल्ली के लिए द्वादशी तिथि 2 नवंबर को सुबह 7:31 बजे शुरू होती है और 3 नवंबर को सुबह 5:07 बजे खत्म होती है। इसका मतलब है कि 2 नवंबर की सुबह तक तिथि चल रही है, इसलिए उसी दिन विवाह किया जाना चाहिए। लेकिन श्री राम मंदिर संगठन के अनुसार, तिथि का पूर्ण अंश 5 नवंबर को आता है — शायद किसी अन्य गणना पद्धति, जैसे कि दक्षिण भारतीय या वैदिक पंचांग के आधार पर।
यहां एक बात स्पष्ट है: जहां तिथि अंतर है, वहां असली बात यह है कि आप किस परंपरा का पालन करते हैं। दिल्ली-उत्तर भारत में जेके योग और जागरण के अनुसार तारीख मानी जाती है। दक्षिण और पश्चिम भारत में, खासकर राम मंदिरों में, 5 नवंबर का अहमियत दिया जाता है। यह विवाद नए नहीं है — पिछले 20 सालों में ऐसा हर बार हुआ है।
तुलसी विवाह का रिवाज: कैसे करें पूजा विधि
तुलसी को ब्राह्मणी की तरह सजाया जाता है — लाल धोती लपेटी जाती है, चूड़ियां पहनाई जाती हैं, बिंदी लगाई जाती है। भगवान विष्णु की मूर्ति, जिसे शलिग्राम के रूप में जाना जाता है, उसे नए कपड़े पहनाए जाते हैं। एक लाल धागा तुलसी और शलिग्राम के बीच बांधा जाता है — यही विवाह का प्रतीक है।
गणेशास्पीक्स.कॉम के अनुसार, पूजा के लिए एक कलश लेकर उसमें पांच आम के पत्ते डाले जाते हैं। इसमें गंगाजल छिड़का जाता है, फिर तुलसी और शलिग्राम के माथे पर रोली और तिलक लगाया जाता है। चुनरी तुलसी को दी जाती है, और विष्णु को नया वस्त्र। फिर फूल, फल, दीपक और आरती के साथ प्रसाद बांटा जाता है।
अनुष्ठान के दौरान तुलसी विवाह कथा पढ़ी जाती है — जिसमें वृंदा की कहानी है। वृंदा, जो दैत्य राजा शंखचूड़ की पत्नी थी, ने अपनी अटूट भक्ति से उसे अजेय बना दिया। भगवान विष्णु ने उसकी विश्वासघात के रूप में शंखचूड़ का रूप धारण किया, उसकी तपस्या तोड़ी, और वृंदा ने क्रोध में श्रीकृष्ण को शलिग्राम बन जाने का श्राप दे दिया। इसी कारण तुलसी और शलिग्राम का विवाह हर साल फिर से होता है — एक अनुत्तीर्ण प्रेम का दिव्य समाधान।
सौराष्ट्र में तुलसी विवाह: जब मंदिर बन जाते हैं शादी के महल
गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में, यह रिवाज शाही स्तर का हो जाता है। सौराष्ट्र के कई मंदिरों में एक विशेष परंपरा है — तुलसी के मंदिर से शलिग्राम के मंदिर को शादी का आमंत्रण भेजा जाता है। शादी के दिन, तुलसी के मंदिर से एक बड़ी बरात निकलती है, जिसमें भक्त नाचते-गाते तुलसी की मूर्ति लेकर चलते हैं। शलिग्राम के मंदिर के द्वार पर उनका स्वागत धूमधाम से होता है।
यहां तुलसी को सचमुच एक ब्राह्मणी कन्या की तरह देखा जाता है। बरात में ढोलक, नगाड़े और भजन गूंजते हैं। बच्चे भी इसमें शामिल होते हैं — कुछ तो तुलसी के लिए छोटे जूते लाते हैं। यह दृश्य आध्यात्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक है।
बच्चों की कामना और आंतरिक बदलाव: तुलसी विवाह का गहरा अर्थ
एक प्रचलित विश्वास है कि जो जोड़ा बच्चों की कामना करता है, वह तुलसी का कन्यादान करे — यानी तुलसी को अपनी बेटी की तरह देकर विवाह कराए। इसके बाद उन्हें बच्चा मिलने का वादा होता है। यह विश्वास न सिर्फ भक्ति का है, बल्कि मनोवैज्ञानिक भी है। जब एक जोड़ा किसी चीज के लिए अपना अहंकार छोड़ता है, तो उसका दिल खुलता है — और जीवन उसके लिए नई ऊर्जा लेकर आता है।
स्वामी मुकुंदानंद ने जेके योग के साथ बात करते हुए कहा, "तुलसी विवाह सिर्फ बाहरी रस्म नहीं, बल्कि भक्ति योग का एक जीवंत अभ्यास है। यह सिखाता है कि अहंकार को छोड़कर भगवान के प्रति समर्पण कैसे किया जाए।"
यह रिवाज घरों में भी एक अलग शक्ति लाता है। बड़े-छोटे एक साथ आते हैं। महिलाएं तुलसी को सजाती हैं, पुरुष शलिग्राम को नहलाते हैं। बच्चे आरती गाते हैं। यह एक दिन होता है जब घर में धर्म और परिवार एक हो जाते हैं।
भविष्य क्या है? क्या यह विवाद खत्म होगा?
आज के डिजिटल युग में, जब हर व्यक्ति अपने फोन पर अलग-अलग ऐप्स से तिथि देखता है, तो यह विवाद और बढ़ रहा है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि धर्म कमजोर हो रहा है। बल्कि, यह दिखाता है कि धर्म अब सिर्फ एक निर्देश नहीं, बल्कि एक चेतना है।
कुछ मंदिर अब दोनों दिनों की पूजा कर रहे हैं — एक दिन लोकप्रिय तारीख के लिए, दूसरा परंपरागत तारीख के लिए। यह एक नया समाधान है। अब यह नहीं देखा जाता कि कौन सही है, बल्कि यह देखा जाता है कि आप कैसे भक्ति करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
तुलसी विवाह 2025 कब होगा — 2 नवंबर या 5 नवंबर?
दोनों तारीखें वैध हैं, लेकिन आधार अलग है। जेके योग, जागरण और एस्ट्रोमंच के अनुसार 2 नवंबर (द्वादशी तिथि के अंतिम समय के आधार पर), जबकि श्री राम मंदिर संगठन 5 नवंबर को चुनता है, जो किसी अन्य पंचांग पद्धति पर आधारित है। आप अपनी परंपरा के अनुसार चुन सकते हैं।
तुलसी विवाह क्यों महत्वपूर्ण है?
यह रिवाज केवल एक शादी नहीं, बल्कि वृंदा और विष्णु के दिव्य प्रेम की याद दिलाता है। यह भक्ति, शुद्धता और अहंकार छोड़ने का प्रतीक है। घरों में इसे मनाने से परिवार का एकत्व बढ़ता है, और यह भारतीय संस्कृति में शादियों के मौसम की शुरुआत का संकेत है।
बच्चों के लिए तुलसी विवाह कैसे मदद करता है?
एक प्रचलित मान्यता है कि जो जोड़ा तुलसी का कन्यादान करता है, उसे बच्चा मिलता है। यह विश्वास आध्यात्मिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक भी है — जब लोग किसी चीज के लिए अपना अहंकार छोड़ते हैं, तो उनका दिल खुलता है। यह अंतर्मुखी बदलाव जीवन में नई ऊर्जा लाता है।
सौराष्ट्र में तुलसी विवाह क्यों अलग है?
सौराष्ट्र के मंदिरों में तुलसी विवाह एक वास्तविक शादी की तरह मनाया जाता है। बरात निकलती है, ढोलक बजती है, और दो मंदिरों के बीच आमंत्रण का आदान-प्रदान होता है। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक घटना है जो धर्म को जीवंत बनाती है।
क्या घर पर भी तुलसी विवाह कर सकते हैं?
हां, बिल्कुल। घर पर तुलसी को लाल धोती से ढकें, बिंदी लगाएं, चूड़ियां पहनाएं, और शलिग्राम के साथ एक लाल धागा बांधें। आरती करें, प्रसाद बांटें। यह रिवाज जटिल नहीं है — यह भक्ति की सादगी है। जितना सच्चा दिल से किया जाए, उतना ही पवित्र होगा।
तुलसी विवाह का मुहूर्त क्या है?
2 नवंबर को दिल्ली के लिए मुहूर्त सुबह 7:31 बजे से शुरू होता है, और 3 नवंबर की सुबह 5:07 बजे तक चलता है। 5 नवंबर को श्री राम मंदिर संगठन के अनुसार मुहूर्त सुबह 7:34 बजे शुरू होता है। अगर आप अमेरिका में हैं, तो टाइम जोन के अनुसार अलग होगा — जैसे डलास में 1 नवंबर की रात 9:01 बजे से।
ashi kapoor 31.10.2025
अरे भाई, 2 नवंबर या 5 नवंबर? ये सब तो बस ऐप्स के बीच जंग है 😅 जेके योग वाले कहते हैं तिथि खत्म हुई, श्री राम मंदिर वाले कहते हैं नहीं अभी तो चल रही है। मैं तो बस तुलसी को लाल धोती पहनाकर आरती कर देती हूँ, बाकी सब तो बस डिजिटल फोन का गुस्सा है 🤷♀️ जो भी हो, तुलसी का विवाह तो हो ही जाएगा - बस दिल से कर लो, फिर तो भगवान खुद बता देंगे 😇
Yash Tiwari 31.10.2025
यह जो अर्थशास्त्र चल रहा है, वह बिल्कुल अवैज्ञानिक है। ज्योतिष में तिथि का अंतिम समय नहीं, बल्कि पूर्ण अंश गणना का आधार होता है। जेके योग की गणना दिल्ली के लिए है - लेकिन भारत एक देश है, न कि एक शहर। दक्षिण भारतीय पंचांग, जो वैदिक तिथि-सूत्रों के अनुसार बनाए गए हैं, उनके अनुसार 5 नवंबर ही सही है। जो लोग एप्स पर भरोसा करते हैं, वे वैदिक ज्योतिष के बारे में बिल्कुल अनपढ़ हैं। यह एक धार्मिक अपराध है।
Mansi Arora 31.10.2025
ये सब लोग तो अपने अपने गणक को बचाने के लिए लड़ रहे हैं 😒 एक तरफ जेके योग का नाम ले रहे हैं, दूसरी तरफ श्री राम मंदिर संगठन। असल में तो ये सब बिजनेस है - ऐप्स बेच रहे हैं, पंचांग बेच रहे हैं, अब तुलसी विवाह के लिए टिकट भी बेचने लगेंगे। बस एक बात समझो - तुलसी को बरामदा करो, जिस दिन भी याद आए, उसी दिन आरती कर दो। भगवान ने तो कहा है - भक्ति में तारीख नहीं, भाव होता है।
Amit Mitra 31.10.2025
मुझे लगता है कि यह विवाद वास्तव में भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है। उत्तर में एक पद्धति, दक्षिण में दूसरी, पश्चिम में तीसरी - और सब ठीक हैं। यह वही बात है जैसे दक्षिण में दिवाली का दिन अलग होता है, या बंगाल में दुर्गा पूजा की तारीख। यह एकता में विविधता का उदाहरण है। हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि कौन सही है, बल्कि यह सोचना चाहिए कि हम कैसे एक-दूसरे के विश्वास का सम्मान कर सकते हैं।
sneha arora 31.10.2025
बस तुलसी को सजाओ और आरती करो 🌿🪔 बाकी सब तो बस दिमाग का बोझ है। मैंने पिछले साल तुलसी के सामने बच्चों के लिए दुआ की थी... और अब मेरी छोटी बेटी है 😭❤️ तुलसी विवाह बस एक रिवाज नहीं, ये तो प्यार का अभिनय है। जो भी दिन हो, भगवान तो दिल से देखते हैं 🙏✨
Sagar Solanki 31.10.2025
ये सब एक विशाल धार्मिक नियंत्रण अभियान है। जेके योग के पीछे एक वैदिक टेक-कॉर्पोरेशन है, जो ऐप्स के माध्यम से जनता को नियंत्रित कर रहा है। श्री राम मंदिर संगठन? वो भी एक राजनीतिक ब्रांड है। ये दोनों तारीखें जानबूझकर बनाई गई हैं - ताकि आप लोग लगातार चर्चा करें, शेयर करें, और उनके प्रोडक्ट्स खरीदें। आप जो भी करें, तुलसी को अपने घर में नहीं लाएं, वो आपके जीवन का भाग न बने। ये सब एक मायावी जाल है।
Siddharth Madan 31.10.2025
मैंने अपने गाँव में देखा है - तुलसी विवाह का दिन तो घर-घर अलग होता है। कुछ लोग 2 को करते हैं, कुछ 5 को, कुछ तो दोनों दिन कर लेते हैं। कोई नहीं लड़ता। कोई नहीं बताता कि कौन सही है। बस तुलसी के सामने आरती होती है, फल चढ़ाए जाते हैं, और बच्चे नाचते हैं। शायद यही सच है - न तारीख, न गणना, बस भक्ति।
Nathan Roberson 31.10.2025
भाई, मैं तो अमेरिका में रहता हूँ, लेकिन हर साल तुलसी विवाह करता हूँ। यहाँ तो कोई नहीं जानता कि ये क्या है, लेकिन मैं अपने घर में तुलसी को लाल धोती पहनाकर आरती करता हूँ। गाँव के बुजुर्ग बोलते हैं - जब तक दिल से किया जाए, तब तक भगवान नहीं रोकते। अगर तुम्हें लगता है कि 2 नवंबर है, तो कर लो। अगर 5 नवंबर, तो उसी दिन। बस भूल जाओ कि ये किसने क्या कहा।
Thomas Mathew 31.10.2025
तुलसी विवाह? ये तो एक दिव्य नाटक है। वृंदा ने श्रीकृष्ण को शलिग्राम बनने का श्राप दिया - लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि श्रीकृष्ण ने शायद खुद यही योजना बनाई थी? वो चाहते थे कि भक्ति का एक ऐसा रूप बने जो हर साल दोहराया जाए। ये विवाद भी उनकी योजना है। जिस दिन आप लोग ये बहस करेंगे, उसी दिन आप तुलसी के बारे में सोचेंगे। ये नहीं कि तारीख गलत है, बल्कि ये है कि आपका दिल जाग रहा है।
Dr.Arunagiri Ganesan 31.10.2025
तुलसी विवाह भारत की आत्मा है। यह न सिर्फ धर्म है, बल्कि एक सामाजिक बंधन है। मैंने दक्षिण भारत में देखा है - बच्चे तुलसी के लिए जूते लाते हैं, बुजुर्ग गीत गाते हैं, और युवा फिल्म बनाते हैं। ये एक जीवंत परंपरा है। तारीख बदल सकती है, परंपरा नहीं। हमें इसे बचाना होगा - न कि उसकी तारीख पर लड़ना।
simran grewal 31.10.2025
अरे यार, तुम लोग इतना बड़ा मुद्दा बना रहे हो? जेके योग के लोग तो बस अपने ऐप की बिक्री बढ़ाना चाहते हैं। श्री राम मंदिर संगठन तो अपने मंदिरों में भीड़ लाना चाहते हैं। असली तुलसी विवाह तो वो है जब तुम अपनी माँ के साथ तुलसी को धोती पहनाते हो - बिना किसी ऐप के, बिना किसी गणना के। बस एक चूड़ी और एक फूल। बाकी सब बकवास है।