सोना और चांदी की कीमतों में हालिया बदलाव
25 सितंबर 2025 को भारत में सोना मूल्य ने लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की। 24‑करात सोना 11,444 रुपये प्रति ग्राम पर बंद हुआ, जो पिछले दिन की कीमत से 93 रुपये कम है। इसी तरह 22‑करात सोना 10,490 रुपये पर आया, जिसमें 85 रुपये की गिरावट हुई, और 18‑करात सोना 8,583 रुपये प्रति ग्राम, 70 रुपये नीचे, स्थापित हुआ। इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण निवेशकों द्वारा पिछले सत्रों में हुए लगातार लाभ को बुक कर लेना माना जा रहा है।
शहरों के हिसाब से कीमतों में थोड़ा‑बहुत अंतर दिखा। नई दिल्ली में 24‑करात सोना 11,459 रुपये, 22‑करात 10,505 रुपये और 18‑करात 8,598 रुपये पर ट्रेड हो रहा था। जबकि मुंबई में 10 ग्राम 24‑करात सोने की कीमत 1,12,660 रुपये और 22‑करात की 1,03,272 रुपये थी। बेंगलुरु ने सबसे अधिक मूल्य दर्ज किया—10 ग्राम 24‑करात सोना 1,12,750 रुपये पर मिल रहा था।
पिछले सप्ताह की कीमतों को देखें तो अस्थिरता स्पष्ट थी। 24 सितंबर को सोना 11,537 रुपये पर था, जो 32 रुपये नीचे था। 23 सितंबर को 11,569 रुपये पर ट्रेड किया, जिसमें 126 रुपये की गिरावट दर्ज हुई। इसके उलट 22 और 21 सितंबर को क्रमशः 92 रुपये और 44 रुपये की बढ़ोतरी देखी गई थी। इस तरह का उतार‑चढ़ाव दर्शाता है कि बाजार अभी भी कई कारकों से प्रभावित हो रहा है—वित्तीय नीतियों में बदलाव, अंतर्राष्ट्रीय डॉलर की ताकत, और मौसमी मांग।
आगे की संभावनाएँ और विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि इस छोटे‑से सुधार के बाद फिर भी सोने की दीर्घकालिक तेज़ी जारी रहने की संभावना है। MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर तकनीकी चार्ट दिखा रहा है कि सोने के दाम उच्चतम उच्च और उच्चतम निचली सीमा (higher highs और higher lows) बना रहे हैं। प्रमुख समर्थन स्तर 1,12,000 रुपये के आसपास स्थापित हैं, जबकि लक्ष्य 1,15,500‑1,16,000 रुपये की रेंज में देखी जा रही है।
चांदी की बात करें तो वही दिन यह धातु बढ़त में रही। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतों में सुधार ने भारतीय बाजार में भी सकारात्मक असर डाला। चांदी की बढ़ती मांग को विशेष रूप से औद्योगिक उपयोग—जैसे सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स—और निवेशात्मक माँग ने तेज़ किया।
आगामी त्योहारी सीजन, विशेषकर दिवाली और कऱीघट के आसपास, सोने और चांदी दोनों की मांग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है। भारतीय उपभोक्ताओं की परम्परागत ध्वनि के अनुसार, सोने को शादियों, लालन और अन्य बड़े अवसरों पर उपहार के रूप में खरीदा जाता है। इससे रिटेल मार्केट में कीमतों को फिर से ऊपर उठने का दबाव बन सकता है।
व्यापारियों का कहना है कि ग्राहकों को कीमतों के उतार‑चढ़ाव का फायदा उठाने के लिये छोटे‑मोटे खरीद‑फरोख्त के अवसर मिल सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेशकों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हुए, बाजार के मौसमी चक्र को समझना चाहिए और अचानक गिरावट में पैनिक न करना चाहिए।
अंत में, यह स्पष्ट है कि सोना और चांदी दोनों मे मौजूदा दशा में थोड़ी अस्थिरता है, परन्तु मौसमी मांग और तकनीकी संकेतकों की सुदृढ़ता के कारण आगे भी बुलिश प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है।
Chandra Soni 26.09.2025
सोने के प्राइस एन्हांसमेंट में हमारे मैक्रो इकोनॉमिक इंडिकेटर्स का इम्पैक्ट बहुत हाई है।
डेमांड‑साइड फॉर्सेज़, जैसे दिवाली सीजन की रिटेल बाय‑इन, लगातार प्राइस अपट्रेंड को सपोर्ट कर रहे हैं।
हेजिंग स्ट्रेटेजीज़ और लिक्विडिटी प्रोवाइडर्स ने मार्केट को स्टेबलाइज़ करने के लिये फ्युचर्स ट्रेडिंग को इंटेन्सिफाई किया है।
चांदी की डिमांड में सोलर पैनल्स की एन्हांस्ड यूज़ेज़ ने एक पॉज़िटिव स्पिल‑ओवर इफ़ेक्ट उत्पन्न किया है।
इंट्राडे वॉलैटिलिटी को मॉडरेट करने के लिये फेडरल रिज़र्व की मोनेटरी पॉलिसी सिग्नल्स को ट्रैक किया जा रहा है।
बाजार के एंट्री‑लेवल इन्भेस्टर्स ने लक्ष्य प्राइस बैंड के भीतर एंट्री लोर्न करने को प्रेफर किया है।
पिछले दो-दिन के प्राइस डि-क्रेशन्स को हम टेम्परेरी कँसल्लेशन एप्रोच से देख सकते हैं।
इन सब फ़ैक्टर्स को कॉम्प्लेक्स मॉडलिंग में इंटेग्रेट करने से फोकस्ड इन्वेस्टमेंट डायरेक्शन स्पष्ट हो जाता है।
Kanhaiya Singh 26.09.2025
सोने की गिरावट पर विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि मौजूदा लाभ बुकिंग केवल अल्पकालिक प्रतिक्रिया है।
दीर्घकालिक रुझान अभी भी बुलिश रहेगा क्योंकि समर्थन स्तर दृढ़ है।
आवश्यक है कि निवेशक अत्यधिक प्रतिक्रिया से बचें और पोर्टफ़ोलियो के विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित करें।
prabin khadgi 26.09.2025
अतः, मूल्य परिवर्तनों की धारा को समझने के लिये हमें मात्र परिमाणात्मक डेटा नहीं, बल्कि वैचारिक ढाँचा भी अपनाना चाहिए।
सोने का उच्चतम उच्च और उच्चतम निचला स्तर लगातार रिटर्न की संभावितता दर्शाता है।
इस संदर्भ में, निवेशकों को अपने जोखिम सहिष्णुता को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है।
वित्तीय नीतियों में बदलाव, डॉलर की शक्ति और मौसमी मांग ये सभी कारक अंतर्निहित हैं।
इन पहलुओं को नज़रअंदाज़ करना बौद्धिक रूप से अनुचित होगा।
Aman Saifi 26.09.2025
आपकी वैचारिक दृष्टि सराहनीय है, परन्तु वास्तविक बाजार की गतिकी अक्सर सैद्धांतिक फ्रेम से परे होती है।
उदाहरण स्वरूप, उपभोक्ता मनोविज्ञान में छोटे‑छोटे भावनात्मक ट्रिगर भी कीमतों को बहुत प्रभावित करते हैं।
इसलिए इन सॉफ्ट‑फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए एक समग्र विश्लेषण करना आवश्यक है।