अंतरराष्ट्रीय सहायता और भारत की भूमिका

जब भी कोई देश प्राकृतिक आपदा, महामारी या युद्ध से जूझता है, तो मदद की जरूरत पड़ती है। यही वह जगह है जहाँ अंतरराष्ट्रीय सहायता काम आती है। भारत ने पिछले कई सालों में विभिन्न तरीकों से मदद की है – चाहे वह मानवता के त्वरित राहत कार्य हो या दीर्घकालिक विकास सहयोग। इस लेख में हम समझेंगे कि अंतरराष्ट्रीय सहायता किन‑किन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है और भारत ने हाल ही में कौन‑सी पहल की है।

अंतरराष्ट्रीय सहायता के प्रमुख क्षेत्र

सबसे पहले, मानवता‑मुक्त राहत कार्य को देखें। बाढ़, भूकंप या हरिकेन जैसी आपदाओं के बाद, कई देशों को तुरंत भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता चाहिए होती है। भारत के भारत रेड क्रॉस, नेशनल डिसास्टर रिकवरी फाउंडेशन (NDRF) और विदेश मंत्रालय की टीम अक्सर ऐसे मौकों पर दान कराते हैं।

दूसरा, स्वास्थ्य संबंधी मदद भी बहुत जरूरी है। COVID‑19 महामारी ने दिखाया कि वैक्सीन और दवाइयों की आपूर्ति में अंतरराष्ट्रीय सहयोग कितना असरदार हो सकता है। भारत ने अपना "वायरस टूलकिट" कई विकासशील देशों को दिया, जिससे उनकी महामारी से लड़ने की क्षमताओं में सुधार हुआ।

तीसरा, आर्थिक विकास और बुनियादी ढाँचा बनाना है। कई देशों को सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और बिजली ग्रिड की जरूरत होती है। यहाँ भारत के विकास सहयोग कार्यक्रम, जैसे कि भारत‑अफ्रीका स्वच्छता पहल, काम आते हैं। इन कार्यक्रमों से न केवल बुनियादी सुविधाएँ बनती हैं, बल्कि रोजगार भी पैदा होता है।

चौथा, तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण भी अंतरराष्ट्रीय सहायता में शामिल है। भारत ने कई देशों को कृषि, जलसंधारण और आईटी में तकनीकी सिखाने के लिए शैक्षणिक ट्रेनिंग आयोजित किए हैं। इस तरह के ज्ञान‑साझा करने से स्थानीय लोगों की स्वावलंबन बढ़ती है।

भारत की हालिया मानवीय पहल

पिछले साल, यूक्रेन की स्थिति बहुत गंभीर थी। भारत ने यूक्रेन के शरणार्थियों को मानवीय राहत पैकेज भेजे, जिसमें खाना, कपड़े और दवाइयाँ शामिल थीं। साथ ही, भारत ने यूक्रेन के छात्रों के लिए शैक्षणिक वीज़ा में आसानी की सुविधा भी दी, जिससे उनका अध्ययन जारी रह सके।

बांग्लादेश में बाढ़ के बाद, भारत ने कई टन भोजन और साफ़ पानी का सामान भेजा। भारतीय सेना ने बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य में भाग लिया, जिससे कई जिंदगियां बचीं।

अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं के लिए शिक्षा समर्थन में भी भारत ने कदम बढ़ाया। कुछ NGOs के साथ मिलकर, भारत ने ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफ़ॉर्म स्थापित किए, जिससे दूरस्थ क्षेत्र में लड़कियों को पढ़ाई का मौका मिला।

इसी तरह, अफ्रीका के सुदान देशों में स्वच्छ जल परियोजनाओं में भारत ने तकनीकी सहायता दी। जलसंरक्षण के लिए ड्रिलिंग मशीनें और सौर पंप स्थापित कर, स्थानीय समुदायों को साफ़ पानी तक पहुँचाया गया।

इन सब प्रयासों का मुख्य उद्देश्य एक स्थायी मदद देना है, जिससे मदद मिलने वाला देश खुद की समस्याओं को हल कर सके। सिर्फ एक बार की मदद से नहीं, बल्कि निरंतर सहयोग से सच्चा बदलाव आता है।

अंतरराष्ट्रीय सहायता में भारत की भागीदारी दिखाती है कि विदेश नीति सिर्फ राजनयिक समझौते तक सीमित नहीं है। यह लोगों की ज़िंदगियों को सीधे सुधारने का काम भी है। जब आप देखेंगे कि कैसे छोटे‑छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव लाते हैं, तो समझेंगे कि सहायता सिर्फ दान नहीं, बल्कि एक साझा जिम्मेदारी है।

अगर आप अंतरराष्ट्रीय सहायता में दिलचस्पी रखते हैं, तो आस‑पास की NGOs, सरकारी योजनाओं या स्वयंसेवी समूहों से जुड़ सकते हैं। छोटी‑सी मदद भी बड़े अंतर का कारण बन सकती है। अंत में, याद रखिए – जब हम एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो दुनिया का भविष्य और बेहतर बनता है।

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पूर्वी अफगानिस्तान में 6.0 तीव्रता के भूकंप ने 1,400 से अधिक लोगों की जान ले ली और 13,100 से ज्यादा घायल हुए। केंद्र जलालाबाद से करीब 27 किमी पूर्व, पाकिस्तान सीमा के पास रहा। कुनर में सबसे ज्यादा तबाही हुई, कई गांव मलबे में बदल गए। सड़कों पर मलबा होने से राहत में बाधा है, हेलीकॉप्टर से खोज जारी है। तालिबान प्रशासन ने मदद मांगी, यूएन, यूके और चीन ने सहायता का ऐलान किया।

Abhinash Nayak 2.09.2025