तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में हुई जहरीली शराब त्रासदी ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। इस त्रासदी में 34 लोगों की जान चली गई जबकि कई अन्य लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मरने वाले लोगों के परिवारों को 10 लाख रुपये व अस्पताल में भर्ती लोगों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। यह त्रासदी उस समय सामने आई जब लोगों ने 'मेथनॉल मिली हुई शराब' का सेवन किया।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को मामले की गहराई से जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बी. गोकुलदास की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठित किया गया है जो कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सुझाव देगा और इस त्रासदी की विस्तृत जांच भी करेगा।
घटना के बाद राज्य कांग्रेस अध्यक्ष के. सेल्वापेरुनथगाई ने भारी चिंता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि इस मामले को राज्य विधानसभा में उठाया जाएगा। तमिलनाडु कांग्रेस विधायक ईवीकेएस एलांगोवन ने मुख्यमंत्री से अन्य जिलों में भी अवैध शराब की खोज करने और दोषियों को दंडित करने का अनुरोध किया है।
बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी विधायक वनाथी श्रीनिवासन ने इस घटना को प्रशासन की विफलता बताया है। वहीं, केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री स्टालिन पर अवैध शराब को नियंत्रित करने में नाकाम होने का आरोप लगाया है।
मद्रास उच्च न्यायालय ने एआईएडीएमके वकीलों की ओर से दायर एक आपातकालीन याचिका पर जल्द सुनवाई की सहमति दी है, जिसमें इस त्रासदी पर चर्चा करने की अपील की गई है। यह सुनवाई 21 जून को होगी।
तमिलनाडु में अवैध शराब की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। राज्य में कई बार इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में यह आवश्यक है कि राज्य सरकार सख्त कदम उठाए और अवैध शराब के कारोबार को पूरी तरह से समाप्त करे। राज्य की जनता में भी इस मुद्दे को लेकर भारी रोष है और वे न्याय की मांग कर रहे हैं।
यह घटना न केवल तमिलनाडु के प्रशासन के लिए एक चेतावनी है बल्कि पूरे देश के लिए एक सबक है कि अवैध शराब के कारोबार पर सख्त नजर रखी जाए और दोषियों को कड़ी सज़ा दी जाए। राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल भी गठित किया है जो कि जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
Ashutosh Sharma 20.06.2024
सच में, 10 लाख रुपये का ‘इम्पैक्ट बफ़र’ इस जाँच को क्विक फिक्स कर देगा, नहीं? फिर भी, इस ‘रिकम्पेन्सेशन’ मॉडल में कोई ‘डिफॉल्ट मेकैनिज्म’ नहीं दिखता। राज्य की एन्क्लेव्ड एरिया में ‘स्लेटेड फ्रेमवर्क’ के तहत ये रकम केवल कागज़ी काम है। अगर हम ‘डेटा‑ड्रिवेन’ अप्रोच अपनाते तो शायद ड्रग‑ट्रांसफर का पता चल जाता। लेकिन, जैसा कि हमेशा होता है, पॉलिसी‑लेज़र कभी‑कभी ‘ट्रेंड शीट’ को फॉलो करते हैं, एम्बेडेड एरर के साथ।
Rana Ranjit 20.06.2024
समाज की ज़िम्मेदारी केवल कानून बनाना नहीं, बल्कि उस कानून की वैधता को हर घर तक पहुँचाना भी है। जब शराब की बोतलें नालायकी बन जाती हैं, तो ये सिर्फ एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं, बल्कि नैतिक संकट बन जाता है। हमें इस त्रासदी को एक चेतावनी के रूप में नहीं, बल्कि सामुदायिक जागरूकता के एक अवसर के रूप में लेना चाहिए। एकजुट होकर हम ‘सुरक्षित पीना’ जैसी संस्कृति को अपनाने में कदम बढ़ा सकते हैं। इस कारण, स्थानीय NGOs और सरकारी विभागों को मिलकर काम करना ज़रूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोहर न हों।
Arundhati Barman Roy 20.06.2024
ये सिचुयशन वाकई में दिल दहला देने वाला है लेकिन सिचुयेशन के एटमोस्फीयर में हम सब कूद पड़े। मैरे ख्याल से नररवता और धोकाबाज़ी की भावना इस ट्रैजेडी में हाईलाइट हुई है। जो लोग इस पीड़ित परिवार को सपोर्ट कर रहे हैं, उनहें सएह सॉलिडेरिटी दिखानी चाहिए। सरकार से उम्मीद है की वो एंथोनीर इन्क्लूडेड के साथ एफ़ेक्टिव सहायता देगा। हम सभी को मिलकर इस शोक को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
yogesh jassal 20.06.2024
भाईयों और बहनों, इस दुखद घोटाले ने हमें फिर से याद दिलाया कि शराब की अनियंत्रित धारा कितनी विनाशकारी हो सकती है। पहले हम कहते थे कि 'जेब में पैसा, दिमाग में जाल' – अब यही कहावत सामने की सच्चाई बन गई है। उच्च न्यायालय की जल्द सुनवाई का मतलब है कि लोग आशा भी रख सकते हैं, पर सुनवाई केवल कागज़ी प्रक्रिया नहीं, बल्कि वास्तविक सजा का दायरा भी तय करेगी। राज्य सरकार द्वारा बनाया गया विशेष जांच दल अगर सच्चाई को उजागर करेगा तो भविष्य में इस तरह के काले व्यापारी कम होंगे। हमें यह भी समझना चाहिए कि सिर्फ सरकारी कदम ही नहीं, बल्कि नागरिकों की सतर्कता भी आवश्यक है। अगर हर गाँव में शराब की बॉटलें ‘हेड इश्यू’ की तरह चिह्नित हों, तो धोखेबाज़ मालिक खुद को बचा नहीं पाएँगे। इस त्रासदी ने हमारे जज्बे को भी मजबूत किया है - हमें अब और दृढ़ता से ‘शून्य tolerance’ नीति अपनानी चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि इस दुष्कर्म के पीछे की ‘सप्लाई चेन’ को पूरी तरह से तोड़ा जाएगा। इस प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका भी अहम होगी, जिससे पूरे देश में जागरूकता फैलेगी। साथ ही, पीड़ित परिवारों को मिलने वाले आर्थिक मदद को सिर्फ रकम नहीं, बल्कि पुनर्वास और मनोवैज्ञानिक सहायता के साथ समर्थन देना चाहिए। यह निहित है कि हम केवल ‘फ्लैश रिपोर्ट’ नहीं, बल्कि दीर्घकालिक समाधान की बात कर रहे हैं। मैं यहाँ एक छोटा सुझाव देना चाहता हूँ: सरकारी हेल्पलाइन को 24/7 चलाने के साथ साथ, स्थानीय डॉक्टरों को ‘टॉक्सिकोलॉजी’ में ट्रेनिंग देना फायदेमंद रहेगा। इस तरह के कदमों से अगली बार अगर कोई ‘मेथनॉल मिलाई शराब’ घोटाला आए, तो लोग तुरंत इसे पहचान कर रिपोर्ट करेंगे। अंत में, मैं सभी को यह कहना चाहता हूँ कि हमें इस दुख को रोने में नहीं, बल्कि आगे बढ़ने में लगाना चाहिए। आपके सहयोग से ही हम इस बुराई को जड़ से उखाड़ फेंक सकते हैं। चलिए, इस बात को एक साझा लक्ष्य बनाते हैं: तमिलनाडु को कभी भी ऐसी त्रासदी का शिकार नहीं बनना चाहिए।
Raj Chumi 20.06.2024
ये सब बहुत बेकरारी है, बस दो‑तीन कदम से सुधर सकता है।