लाहौर उत्सव – एक जीवंत सांस्कृतिक यात्रा

जब हम लाहौर उत्सव, पाकिस्तानी शहर लाहौर में मनाया जाने वाला वार्षिक कला‑संगीत महोत्सव. Also known as Lahore Festival की बात करते हैं, तो तुरंत दिमाग में रंग‑बिरंगी परेड, धड़कते धुन और महकते खाने की छवि आती है। यह उत्सव स्थानीय कलाकारों, कारीगरों और शेफों को एक मंच देता है, जहाँ वे अपनी पहचान दिखाते हैं। मूल रूप से यह शहर की समृद्ध विरासत को नए पीढ़ी तक पहुँचाने का प्रयास है, इसलिए हर साल इसमें नई थिम, नई प्रस्तुतियां और नई स्वादों का मिश्रण मिलता है।

लाहौर उत्सव केवल एक संगीत समारोह नहीं, बल्कि पाकिस्तानी संस्कृति, परम्पराओं, भाषा, कला और रीति‑रिवाज़ों का समग्र रूप का जीवंत प्रदर्शन है। यहाँ सिंघा संगीत की ध्वनियों से लेकर मौलिक नृत्य‑रूपों तक, हर एक्ट यह बताता है कि इतिहास कैसे आधुनिकता से जुड़ता है। उदाहरण के तौर पर, सिंघा संगीत सिंघा संगीत, लाहौर में विशेष रूप से लोकप्रिय, तेज़ ताल वाले शास्त्रीय संगीत का रूप की झंकार सभी उम्र के दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर देती है, जबकि स्थानीय कारीगरों के स्टॉल शिल्प, कढ़ाई और मिट्टी के बर्तन दिखाते हैं। इसी तरह, लाहौर क़िला, शहर के ऐतिहासिक केन्द्र में स्थित, मुग़ल काल का शानदार क़िला के दृश्य पृष्ठभूमि में होते हैं, जिससे हर कार्यक्रम को एक विशिष्ट ऐतिहासिक रंग मिलता है।

भोजन प्रेमियों के लिए तो यह उत्‍सव एक स्वाद‑सफ़र है। स्थानीय व्यंजन जैसे कि बिरयानी, कबाब, पनीर टिक्का और मिठाई‑की‑ख़ासियत – गुलाब जामुन या फिर हलवा – सभी को एक साथ पेश किया जाता है। इस तरह के खाद्य स्टॉल न केवल पेट भरते हैं, बल्कि पाक‑परम्पराओं का भी प्रसार करते हैं। इस आयोजन में साल‑दर‑साल नई रेसिपी और फ्यूज़न डिशेज़ पेश की जाती हैं, जिससे पुरानी रीत और नई रचनात्मकता दोनों ही एक साथ चलते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि लाहौर उत्सव किस तरह स्थानीय व्यंजनों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर लाता है, और सांस्कृतिक आदान‑प्रदान को प्रोत्साहित करता है।

इस विस्तृत संग्रह में आप देखेंगे कि कैसे संगीत, कला, इतिहास और भोजन एक-दूसरे से जुड़े हैं और लाहौर उत्सव को एक समग्र अनुभव बनाते हैं। आगे की सूची में विभिन्न लेख, रिपोर्ट और फोटो गैलरी हैं जो इस महोत्सव की विविधताओं को दर्शाते हैं – चाहे वह मंच पर हुई परफॉर्मेंस हो, या क़िले के किनारे पर आयोजित सांस्कृतिक वार्ता। इन पैराग्राफ़ों को पढ़कर आपको यह समझ आएगा कि लाहौर उत्सव सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक जीवंत सामाजिक आंदोलन है जो हर साल नई ऊर्जा जोड़ता है। अब नीचे दी गई सामग्री में जाकर आप और भी गहराई से इस उत्सव की झलकियों को देख सकते हैं।

भगत सिंह का जन्मदिन: 27 सितंबर को याद किया गया वीर साहस

भगत सिंह का जन्मदिन: 27 सितंबर को याद किया गया वीर साहस

27 सितंबर को शहीद‑ए‑आज़म भगत सिंह का जन्म दिवस मनाया गया। 1907 में जन्मे इस युवा क्रांतिकारी ने अंग्रेज़ों के खिलाफ सरकाेज़ी लड़ाई लड़ी, जॉन सॉन्डर्स की हत्या और दिल्ली विधानसभा में बम विस्फोट जैसी घटनाओं में भाग लिया। 23 मार्च 1931 को फांसी देकर उन्होंने भारत की आज़ादी की जंग में नई रोशनी जलाई। उनका 118वाँ जन्मजश्न हाल ही में लाहौर में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के तहत आयोजित हुआ, जहाँ भारत‑पाकिस्तान दोनों तरफ से सम्मान के प्रस्ताव रखे गए। इस लेख में उनके जीवन, कार्यों और वर्तमान में उनके स्मरण समारोह की पूरी झलक है।

Abhinash Nayak 28.09.2025